ब्रसेल्स में जिद पर अड़ीं टेरीजा मे
३० जनवरी २०१९ब्रिटिश संसद में हुए मतदान के बाद स्थिति उतनी ही अस्पष्ट है जितनी पहले थी. ब्रेक्जिट के किसी विकल्प पर सांसदों के बीच बहुमत नहीं है. हमें सिर्फ ये पता है कि वे यूरोपीय संघ से बिना किसी संधि के बाहर नहीं निकलना चाहते हैं. लेकिन वे ब्रिटिश सरकार और यूरोपीय संघ के बीच हुए समझौते को दो हफ्ते पहले नकारने के बाद अब कैसा समझौता करना चाहते हैं, सांसदों ने नहीं बताया है.
बातचीत की अवधि को बढ़ाकर, नया चुनाव करवाकर या फिर नया जनमत संग्रह करवाकर या पूरी ब्रेक्जिट प्रक्रिया को रोक कर, इस पर संसद सहमत नहीं थी. वे सिर्फ इस बात पर बहुमत जुटा सके कि प्रधानमंत्री टेरीजा मे को 14 दिन के अंदर यूरोपीय संघ के ब्रेक्जिट समझौते पर फिर से बातचीत करने को कहा गया है.
फिर से बातचीत
समस्या की जड़ में बैकस्टॉप है. ये इस बात की गारंटी है कि आयरलैंड गणतंत्र और ब्रिटेन के उत्तरी आयरलैंड के बीच फिर से सीमाचौकी नहीं बनाई जाएगी. ब्रिटिश सांसद इससे छुटकारा चाहते हैं. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री ने भी इसे अपना लक्ष्य बताया है. इसे हासिल करना फिलहाल असंभव लगता है. यूरोपीय संघ के अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति और जर्मन चांसलर भी कह चुके हैं कि इस बात पर और कोई बातचीत नहीं हो सकती. सीमा के सवाल पर आखिरी फैसला हो चुका है.
अब मनोवैज्ञानिक युद्ध शुरू हो रहा है. पहले कौन रियायत देगा? अब सबकुछ आयरलैंड की सरकार पर निर्भर है. वह उत्तर आयरलैंड के साथ किसी भी हाल में नियंत्रण वाली सीमा को रोकना चाहती है, मकसद है इलाके में शांति को खतरे में नहीं डालना. यदि आयरलैंड और यूरोपीय संघ रियायत नहीं देते हैं तो इसका मतलब होगा ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से बिना किसी समझौते के बाहर निकलना और आखिरकार आयरलैंड की सीमा पर नियंत्रण वाली चौकियां. इस परिस्थिति में प्रधानमंत्री मे सोच सकती हैं कि आयरलैंड आखिरी क्षण में समझौता कर लेगा. टेरीजा मे ब्रेक्जिट विवाद में सारा दांव इस एक मुद्दे पर लगा सकती हैं.
खोती उम्मीदें
यूरोपीय संघ यह उम्मीद कर रहा है कि नजदीक आते ब्रेक्जिट के कारण ब्रिटेन धीरज खो देगा और आखिरी क्षण में बातचीत की प्रक्रिया को जारी रखने का आग्रह करेगा, कुछ हफ्तों या कुछ महीनों के लिए. इसका फायदा ये होगा कि फौरन कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा और ब्रिटेन के पास सोच समझकर नियमित तरीके से ब्रेक्जिट का रास्ता तय करने का समय होगा.
ब्रसेल्स में ये उम्मीद बनी हुई है कि ब्रेक्जिट को अभी भी सही तरीके से मैनेज किया जा सकता है, लेकिन वह कमजोर पड़ रही है. यूरोपीय संसद के सदस्य और यूरोपीय राजनयिक ब्रेक्जिट ड्रामा से अब थकते जा रहे हैं. कोई भी 29 मार्च के लिए तय ब्रेक्डिट पर इस समय बड़ा दांव लगाने के लिए तैयार नहीं होगा. इस समय यूरोपीय संघ की एक ही रणनीति है, समय सीमा बढ़ाओ, समय जीतो और इंतजार करो.
ब्रिटेन का बाजा बजाने लगा है ब्रेक्जिट