क्यूबा के असंतुष्ट अपनी रिहाई से नाखुश
१३ फ़रवरी २०११कैथलिक चर्च और स्पेन के साथ क्यूबा की बातचीत के आधार पर 52 राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का फैसला लिया गया था. शुरू में तय हुआ था कि अपनी रिहाई के बाद वे स्पेन चले जाएंगे. कुछ बंदियों ने देश छोड़ने से इंकार कर दिया था. अब उन्हें इस शर्त के बिना ही पैरोल पर रिहा कर दिया जा रहा है.
लेकिन हेक्टोर मासेदा और एंजेल मोया का कहना है कि उन्हें उनकी इच्छा के विपरीत जेल से निकाल दिया गया है. वे अब भी पैरोल पर हैं, जिससे उनकी चलने फिरने की आजादी पर अंकुश लगता है. समाचार एजेंसी रॉयटर के साथ बात करते हुए 68 वर्षीय मासेदा ने कहा कि वह हमेशा कहते रहेंगे कि उन्हें उनकी इच्छा के विपरीत जेल से रिहा किया गया है और सरकार मेरे साथ ज्यादती कर रही है. आठ साल तक जेल में रहने के बाद उन्होंने कहा, "मैं पैरोल पर छूटने के लिए राजी नहीं हूं".
46 वर्षीय एंजेल मोया जब जेल से छूटकर अपने घर पहुंचे, तो रास्ते में लगभग एक सौ सरकार समर्थकों ने फिदेल जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाते हुए उनका मखौल उड़ाया. मोया ने पत्रकारों से कहा, "हमारे खिलाफ नारे लगाने वाले ये लोग कल हमारी जयजयकार करेंगे".
सन 2003 में एक अभियान के तहत इन सभी राजनीतिक बंदियों को गिरफ्तार किया गया था, विदेश में जिसकी काफी आलोचना हुई थी. क्यूबा मे अब सिर्फ सात राजनीतिक बंदी रह गए हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उ भट्टाचार्य
संपादन: वी कुमार