क्रिकेट डिप्लोमेसी से सुलझेगा तीस्ता विवाद?
२२ नवम्बर २०१९बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना टेस्ट मैच देखने कोलकाता आई हैं. ममता बनर्जी ने उनका भरपूर स्वागत किया और अब दोनों की मुलाकातों से कुछ विवादों के हल निकलने की उम्मीद की जा रही है. कहने को तो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का यह दौरा कोलकाता के ईडन गार्डन में भारत व बांग्लादेश के बीच खेले जाने वाले पहले दिन-रात के मैच को देखने के लिए था. लेकिन मामला जब पड़ोसी देश की प्रधानमंत्री और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे राजनेताओं का हो तो भला सियासत कैसे दूर रह सकती है.
ममता के अड़ियल रूख की वजह से ही भारत और बांग्लादेश में तीस्ता नदी के बंटावरे पर समझौतों को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है. शुक्रवार को इन दोनों नेताओं के बीच दिन भर में हुई तीन मुलाकातों और हसीना के स्वागत में बिछने वाली राज्य सरकार के रवैए को अगर संकेत मानें तो तीस्ता के पानी पर बना गतिरोध शायद जल्दी ही दूर सकता है. हालांकि दोनों नेताओं ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. शेख हसीना ने कहा कि वह एक बंगाली (सौरव गांगुली) के न्योते पर क्रिकेट देखने आई हैं, जबकि ममता का कहना था कि बंगाल और बांग्लादेश के रिश्ते ऐतिहासिक हैं और इससे भारत-बांग्लादेश रिश्तों की मजबूती को एक नया आयाम मिला है.
मुलाकातों का दौर
क्रिकेट मैच देखने के लिए शुक्रवार सुबह ढाका से कोलकाता पहुंची शेख हसीना ने पहले दो बार ईडन गार्डन में ममता से मुलाकात की. इन दोनों नेताओं ने घंटा बजा कर मैच की शुरुआत की. उसके बाद सचिन तेंदुलकर समेत कई खिलाड़ियों के सम्मान समारोह में भी यह दोनों नेता एक-दूसरे के करीब रहीं और आपस में बांग्ला में बातचीत करती रहीं. उसके बाद शाम को ममता और हसीना ने महानगर के एक पंचतारा होटल में अकेले मुलाकात की. ममता ने इसे सद्भावना बैठक करार दिया. उन्होंने कहा, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के रिश्ते ऐतिहासिक हैं. हमारी भाषा, संस्कृति और साहित्य में समानता है.
ममता बनर्जी ने इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं की कि क्या बैठक के दौरान तीस्ता के पानी पर कोई चर्चा हुई. उन्होंने बस यही कहा कि बैठक के दौरान कई मुद्दों पर बातचीत हुई. यह एक सद्भावना मुलाकात थी, राजनीतिक बैठक नहीं. दूसरी ओर, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस सवाल पर पत्रकारों से उलटा सवाल किया कि आपलोग क्रिकेट को राजनीति से क्यों मिला रहे हैं? उनका कहना था, "मैं एक बंगाली के रूप में एक दूसरे बंगाली (सौरव गांगुली) के न्योते पर क्रिकेट देखने यहां आई हूं. यह दौरा राजनीतिक नहीं है. इस (तीस्ता) मुद्दे पर पहले भी बातचीत हुई है और भविष्य में भी होगी. क्रिकेट मैच के बीच तीस्ता का मुद्दा लाकर कड़वाहट पैदा करने का कोई तुक नहीं है.”
इन दोनों नेताओं ने भले ही बैठक में उठे मुद्दों पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ममता ने हसीना के साथ असम के नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी) और बांग्लादेश में इसके असर पर बात की. इसके साथ ही तीस्ता नदी के पानी पर भी चर्चा हुई. सूत्रों ने बताया कि लगभग आधे घंटे चली बैठक के दौरान हसीना ने तीस्ता के पानी के बंटवारे पर पर ममता को सहमत करने का प्रयास किया. हालांकि बैठक के बाद दोनों नेता काफी प्रसन्नचित नजर आए. वैसे, इन दोनों के आपसी संबंध काफी मधुर रहे हैं.
तीस्ता समझौता
आपसी संबंधों के लगातार मजबूत होने के बावजूद दोनों देशों के बीच जो चुनिंदा मुद्दे अब तक अनसुलझे हैं उनमें तीस्ता के पानी के बंटवारे का मुद्दा सबसे पुराना है. सिक्किम की पहाड़ियों से निकल कर भारत में लगभग तीन सौ किलोमीटर का सफर करने के बाद तीस्ता नदी बांग्लादेश पहुंचती है. वहां इसकी लंबाई 121 किलोमीटर है. बांग्लादेश का करीब 14 फीसदी इलाका सिंचाई के लिए इसी नदी के पानी पर निर्भर है. इससे वहां की 7.3 फीसदी आबादी को प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है. तीस्ता नदी के पानी पर विवाद देश के विभाजन जितना ही पुराना है.
वर्ष 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ढाका दौरे के समय ही इसके पानी के बंटवारे पर समझौते की तैयारी हो गई थी. लेकिन आखिरी मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दौरे पर जाने से मना कर दिया. ममता की दलील है कि पानी के बंटवारे से राज्य के किसानों को भारी नुकसान होगा. वैसे, वह यह भी कहती रही हैं कि बातचीत के जरिए तीस्ता के मुद्दे को हल किया जा सकता है.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि क्रिकेट के बहाने होने वाली इस सियासत से दोनों देशो के बीच कुछ अनसुलझे मुद्दों को हल करने में सहायता मिल सकती है. इनमें तीस्ता के पानी का मुद्दा भी शामिल है जो कम से हसीना के लिए बेहद अहम है.
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