क्लिंटन का दौरा नया अध्याय: म्यांमार
१ दिसम्बर २०११56 साल बाद कोई अमेरिकी विदेश मंत्री म्यांमार में है. गुरुवार को हिलेरी क्लिंटन ने म्यांमार के राष्ट्रपति थान शेन से मुलाकात की. क्लिंटन ने म्यांमार की नीतियों में आए बदलाव का स्वागत किया. अमेरिकी विदेश मंत्री ने बदलावों को 'उत्साहजनक' कहा. शे ने भी क्लिंटन का गर्मजोशी से स्वागत किया और इसे 'नया अध्याय' करार दिया.
बातचीत के दौरान क्लिंटन ने कहा, "मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि राष्ट्रपति ओबामा और मैं उन कदमों से उत्साहित हैं जो आपने और आपकी सरकार ने अपने लोगों के लिए उठाए हैं."
अमेरिकी विदेश मंत्री के दौरे को मील का पत्थर कहते हुए शेन ने कहा, "आपका यह दौरा ऐतिहासिक होगा और संबंधों में एक नया अध्याय होगा."
बड़े एलान की संभावना कम
क्लिंटन के दौरे में कोई बड़ी घोषणा करेंगी, इसकी उम्मीद कम ही है. अमेरिका चाहता है कि म्यांमार लोकतंत्र की दिशा में और ज्यादा सुधार करे. अगर द्विपक्षीय बातचीत में इसके संकेत मिले, तब कोई बड़ा एलान हो सकता है.
अमेरिका ने म्यांमार के सत्ता पर बैठे शीर्ष नेताओं पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. लेकिन 2011 में हुए कई सुधारों को बाद माना जा रहा है कि म्यांमार कई दशकों बाद अंतरराष्ट्रीय धारा का हिस्सा बनना चाह रहा है. म्यांमार 1962 से 2010 तक सैन्य शासन के अधीन रहा. नंवबर 2010 में सेना ने नागरिक सरकार को सत्ता दे दी. हालांकि अब भी सरकार में सेना के कुछ पूर्व प्रभावी अफसर हैं. लेकिन बीते साल लोकतंत्र की दिशा में कुछ बड़े कदम तो उठाए गए. नागरिक सरकार के गठन के वहां बड़ी संख्या में राजनीतिक बंदियों को रिहा किया गया.
सू ची की भारत से अपील
रिहा होने वालों में म्यांमार में लोकतंत्र का मुख्य चेहरा आंग सान सू ची भी हैं. सू ची क्लिंटन के दौरे का स्वागत करती हैं. लेकिन वह चाहती हैं कि लोकतंत्र बहाली के लिए भारत आगे आए. गुरुवार को सू ची ने कहा, "हम चाहते हैं कि म्यांमार में लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए भारत को ज्यादा कोशिश करनी चाहिए."
सू ची से जब चीन पर सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब दिया, "हमने चीन के साथ अच्छी दोस्ती का आनंद लिया है. मैं चाहती हूं कि यह बरकरार रहे. मुझे उम्मीद है कि छोटी मोटी बाधाओं को पार कर हम चीन के साथ दोस्ताना संबंध बरकरार रख पाएंगे."
चीन ने म्यांमार में बहुत ज्यादा निवेश किया है. लेकिन हाल ही में म्यांमार ने चीन की एक जलविद्युत परियोजना पर रोक लगा दी. बांध परियोजना के चलते उत्तरी म्यांमार में सेना और स्थानीय लोगों के बीच तनाव हो गया. बाद में म्यांमार सरकार ने परियोजना को रद्द कर दिया. चीन इससे नाराज है.
रिपोर्ट: पीटीआई, एएफपी/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल