क्षुद्र ग्रह से मिट्टी लाएगा जापान
३ सितम्बर २०१४प्रोजेक्ट का नाम हायाबूसा-2 होगा, जिसके तहत 1993जेयू3 नाम के क्षुद्र ग्रह के लिए एक विशेष अंतरिक्ष यान छोड़ा जाएगा. यह 2018 में वहां पहुंचेगा. उसके बाद यह एक शक्तिशाली तोप से वहां गोला दागेगा. इसके बाद वहां की चट्टानों और सतह के जो टुकड़े बनेंगे, उन्हें समेट कर इस धरती पर लाया जाएगा.
अगर सब कुछ ठीक ठाक चला, तो वहां से बटोरी गई चीजों को 2020 तक ले आया जाएगा, उसी साल टोक्यो में ओलंपिक होना है. जापान एरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जाक्सा) के प्रोजेक्ट लीडर हितोशी कुनीनाका ने बताया कि वे और उनकी टीम इस प्रोजेक्ट में पूरा जोर लगा देना चाहते हैं, "मुझे इस बात की खुशी है कि नए क्षुद्र ग्रह के लिए अभियान लगभग तैयार है."
इससे पहले जाक्सा ने हायाबूसा नाम का प्रोजेक्ट चलाया था. यह करीब सात साल तक अंतरिक्ष में रहने के बाद 2010 में धरती पर कुछ धूल कणों के साथ लौट आया था. ये सात साल दुश्वारी भरे थे. वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछली बार जिस क्षुद्र ग्रह पर अभियान चलाया गया था, वह आलू के आकार का था और उसमें बहुत ज्यादा प्राकृतिक संसाधन नहीं थे. लेकिन उम्मीद है कि 1993जेयू3 में कहीं ज्यादा खनिज हो सकते हैं. यह गोलाकार है और इसका व्यास करीब एक किलोमीटर है.
विश्लेषकों का कहना है कि वहां से आने वाले द्रव्य सृष्टि की उत्पत्ति के रहस्य से पर्दा उठा सकते हैं कि किस तरह 4.6 अरब साल पहले सौरमंडल का जन्म हुआ. जाक्सा के रिसर्चरों का कहना है कि पहले हासाबूसा अभियान से उन्हें काफी मदद मिलेगी. हालांकि पिछली बार सिर्फ कुछ धूल कण ही बटोरे जा सके थे.
पहले हायाबूसा अभियान में कुछ समय ऐसा भी था, जब यान का संपर्क धरती से कट गया था. फिर भी उसे एक बड़ी कामयाबी बताया जाता है. जाक्सा को जापान में बहुत सम्मान के साथ देखा जाता है और इसके आधार पर कुछ जापानी फिल्में भी बनाई जा चुकी हैं.
कुनीनाका का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि इस बार अभियान अपेक्षाकृत सरल और बेहतर होगा, "मुझे आशा है कि चीजें सुचारू रूप से चलेंगी. नए क्षुद्र ग्रह की जांच के सिलसिले में हमारे सामने कई तरह की दिक्कतें आईं. अंतरिक्ष आसान जगह तो नहीं है."
समझा जाता है कि क्षुद्र ग्रहों में ऐसे तत्व हैं, जिनका स्वरूप सौरमंडल के पुराने काल से नहीं बदला है, जबकि लगातार दबाव और तापमान की वजह से उल्कापिंडों और धरती पर जमा द्रव्यों का आकार और रूप बदलता रहता है. 1993जेयू3 को इसलिए चुना गया क्योंकि वहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.
एजेए/ओएसजे (एएफपी)