भारत के युवाओं में बढ़ती दिल की बीमारी गंभीर खतरे का संकेत
६ दिसम्बर २०२२विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया भर में खासकर युवा तबके में दिल से संबंधित बीमारियों से होने वाली 1.79 करोड़ मौतों में से 20 फीसदी भारत में ही हो रही है. इंडियन हार्ट एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में दिल के दौरे से मरने वालों में 10 में से चार की उम्र 45 साल से कम है. 10 साल में भारत में हार्ट अटैक से होने वाली मौतें करीब 75 फीसदी तक बढ़ गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि 40 साल से कम उम्र के 25 फीसदी और 50 साल से कम उम्र के 50 फीसदी लोगों को हार्ट अटैक का खतरा है. यह आधुनिक दौर में एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है.
पहले दिल का दौरा पड़ने के मामले 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में देखे जाते थे, लेकिन अब 18 साल से कम उम्र के लोग भी सडेन कार्डियक अरेस्ट की वजह से अपनी जान गंवा रहे हैं. बीते एक साल के दौरान बॉलीवुड से जुड़ी कई प्रमुख हस्तियों की कम उम्र में ही दिल की बीमारी के चलते अचानक मौत हो चुकी है. इनमें से कइयों की मौत तो जिम में कसरत के समय ही दिल का दौरा पड़ने से हुई.
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दिल का दौरा और कार्डियक अरेस्ट
लोगों में अक्सर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को लेकर भी गलतफहमी है. कुछ लोग कार्डियक अरेस्ट का मतलब दिल का दौरा समझ लेते हैं. दिल का दौरा तब होता है जब हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब हृदय के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में खराबी होती है. इससे यह अचानक तेजी से धड़कने लगता है या फिर अचानक धड़कना बंद कर देता है.
इस स्थिति में रक्त के मस्तिष्क, फेफड़े और अन्य अंगों में संचार ना होने के कारण संबंधित व्यक्ति हांफने लगता है और सांस लेना बंद कर देता है. कुछ ही देर में उसकी मौत हो जाती है. कार्डियक अरेस्ट हार्ट अटैक की तुलना में अधिक घातक होता है.
क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे मामले?
युवाओं में दिल का दौरा पड़ने की घटनाएं आखिर क्यों बढ़ रही हैं? स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसके लिए बदलती जीवनशैली, शराब और धूम्रपान की बढ़ती लत को जिम्मेदार ठहराते हैं. उनका कहना है कि पिछले 20 साल के दौरान भारत में दिल का दौरा पड़ने के मामले दोगुने हो चुके हैं और अब ज्यादा युवा लोग इसके शिकार हो रहे हैं. दिल के दौरे के मामलों में 25 फीसदी लोग 40 साल से कम उम्र के हैं.
कोलकाता के अपोलो अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पी.के.तिवारी डीडब्ल्यू से बातचीत में कहते हैं, "दिल का दौरा पड़ने के मामलों में आनुवांशिक प्रवृत्तियां भी अहम भूमिका निभाती हैं. इसके अलावा डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी लाइफस्टाइल संबंधित दिक्कतें भी जिम्मेदार होती हैं. धूम्रपान,शराब, मोटापा, तनाव, व्यायाम की कमी और प्रदूषण इसकी मुख्य वजहें हैं.” डॉक्टरों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, कोविड महामारी के बाद दिल का दौरा पड़ने और कार्डियक अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़े हैं.
कोविड का असर
कोलकाता के हृदय रोग विशेषज्ञ डा. पल्लव कांति भट्टाचार्य ने डीडब्ल्यू से बताया कि कोरोना महामारी के बाद कोरोना से संक्रमित लोगों में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामलों में 25-30 फीसदी का इजाफा हुआ है. कोरोना की वजह से जो मरीज अस्पताल में भर्ती थे या जिनको वेंटिलेटर पर रखा गया, अब वे दिल से बीमारियों से जूझ रहे हैं.
खामोशी से जान लेता है साइलेंट हार्ट अटैक
भट्टाचार्य का कहना है, "कोविड दो तरह से दिल पर असर डालता है. पहले तरीके में सीधे दिल की मांसपेशियों में इंफेक्शन होता है. इससे दिल कमजोर हो जाता है और खतरा बढ़ जाता है. दूसरा, कोविड के बाद संक्रमण का हल्का रूप कई महीने तक शरीर में बरकरार रहता है. इससे धमनियों में सूजन बनी रहती है और दिल के भीतर खून का थक्का बनने लगता है. इसकी वजह से दिल का दौरा पड़ सकता है और अन्य दिक्कतें भी हो सकती हैं."
बीते दिनों दिल्ली में एक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम में सर गंगाराम हॉस्पिटल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी मेहता का कहना था, "भारत में हर साल करीब 20 लाख दिल के दौरे के मामले सामने आते हैं और इनमें से ज्यादातर युवा ही इसके शिकार होते हैं." शहर में रहने वाले पुरुषों को गांव में रहने वालों के मुकाबले दिल के दौरे की संभावना तीन गुना ज्यादा होती है.
दिल के दौरे का मुख्य कारण एलडीएल-सी (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल) है. इसके अलावा धूम्रपान, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, आनुवांशिक इतिहास, जीवनशैली, कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन और शारीरिक व्यायाम की कमी से भी दिल का दौरा हो सकता है.”
बॉलीवुड भी चपेट में
युवाओं में बढ़ती दिल की बीमारी से बॉलीवुड भी अछूता नहीं है. बीते एक साल के दौरान कम से कम दस लोगों की इस बीमारी के कारण मौत हो चुकी है. इनमें राजू श्रीवास्तव, सिंगर केके, सिद्धार्थ शुक्ला. वीर सूर्यवंशी, कन्नड अभिनेता पुनीत राजकुमार, राज कौशल और अमित मिस्त्री जैसी हस्तियां शामिल हैं.
इंडियन हार्ट एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के बाकी हिस्सों के मुकाबले भारत में कम उम्र के लोगों में दिल की बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं. इन मामलों में से 50 फीसदी यानी आधे लोग 50 साल से कम उम्र के होते हैं और 25 फीसदी मरीज 40 से कम उम्र के. भारतीय महिलाओं में भी दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों की दर अपेक्षाकृत अधिक है.
जीवनशैली और काम के तरीके में बदलाव
कोलकाता में एक कार्डियक सर्जन डा. सुबीर मुखर्जी बताते हैं, "बीते कुछ वर्षो के दौरान वर्क कल्चर तेजी से बदला है. अब युवाओं को दफ्तर में काफी तनाव लना पड़ता है. यह लोग बाहर का खाना खाते हैं ऐ साथ ही सिगरेट और शराब का सेवन करते हैं. ऐसे में उनके दिल की बीमारियों की चपेट में आने का अंदेशा तेजी से बढ़ता है.”
एक आंकड़े से इस मामले की गंभीरता समझी जा सकती है. मुंबई में बीते साल 6 महीनों में कोरोना के मुकाबले दिल के दौरे से ज्यादा मौतें हुई थी. सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी से पता चला कि मुंबई में पिछले साल जनवरी से जून के बीच कोरोना से 10 हजार 289 मौतें हुई थीं, जबकि इसी दौरान हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या 17 हजार 880 रही.
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ मेट्रिक्स ने हाल में एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा था कि भारत में दिल की बीमारियों के कारण मृत्युदर 272 प्रति लाख है जबकि वैश्विक औसत 235 का है.
बचाव कैसे?
लेकिन आखिर तेजी से पांव पसारते इस साइलेंट किलर से कैसे बचा जा सकता है? विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्यवर्धक भोजन, ताजे फलों और सब्जियों का इस्तेमाल, रोजाना कसरत और तनाव रहित जीवन से हृदय रोग को रोका जा सकता है." डा. भट्टाचार्य कहते हैं, "जीवनशैली में बदलाव जैसे तनाव घटाकर, नियमित चेकअप (खासकर लिपिड प्रोफाइल) और दवाइयों का प्रयोग बेहद महत्वपूर्ण है.
इस बीमारी के प्रति जागरूकता बेहद जरूरी है. दिल से संबंधित किसी भी बीमारी से बचने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं. इनमें नियमित रूप से व्यायाम, स्वस्थ भोजन, धूम्रपान से परहेज, तनाव पर काबू पाना और शराब का सेवन कम से कम करना शामिल है.”