गद्दाफी की डूबती नैया छोड़ने की होड़
२७ फ़रवरी २०११यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र में लीबिया के उप राजदूत इब्राहिम दब्बाशी और लीबियाई मिशन के अधिकांश राजनयिकों ने 21 फरवरी को ही घोषित कर दिया था कि वे अब गद्दाफी की सरकार के नहीं, बल्कि लीबियाई जनता के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं. उन्होंने खुले आम गद्दाफी को उखाड़ फेंकने की अपील की है.
नई दिल्ली में लीबियाई दूतावास के सभी कर्मचारियों ने 25 अक्टूबर को गद्दाफी सरकार के साथ अपना नाता तोड़ दिया. दूतावास के एक वक्तव्य में कहा गया, "दूतावास में हम अब पूर्व शासन नहीं, लीबियाई जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. हम जनता की क्रांति के साथ पूरी तरह से जुड़े हुए हैं." सप्ताहांत के दौरान भारत में लीबियाई के राजदूत अली अल एस्सावी ने जनता पर हिंसक हमले का विरोध करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
इसी प्रकार अरब लीग में लीबियाई प्रतिनिधिमंडल ने निहत्थे नागरिकों के खिलाफ बर्बर अपराधों की निंदा करते हुए गद्दाफी का साथ छोड़ दिया. ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, मिस्र, जॉर्डन, इंडोनेशिया और चीन में भी राजनयिकों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है या जनता के साथ होने की घोषणा की है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र में लीबिया के राजदूत व देश के पूर्व विदेश मंत्री अब्दुर्रहमान शलगम ने भी सुरक्षा परिषद में भाषण देते हुए कड़े शब्दों में गद्दाफी शासन की निंदा की है.
लीबिया के अंदर भी गद्दाफी के लंबे समय के साथी उनसे अलग होते जा रहे हैं. गृह मंत्री अब्देल फतह युनेस अल अबिदी, विधि मंत्री मुस्तफा मोहम्मद अबुद अजलैल और देश के महाभियोक्ता अब्दुल रहमान अल अब्बर ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है. अजलैल ने देश के पूरब में एक समानांतर सरकार के गठन की घोषणा की है. अमेरिका में लीबिया के राजतूद अली औजली ने भी गद्दाफी का साथ छोड़ते हुए घोषित किया है कि वे अजलैल की सरकार के साथ हैं.
इस बीच लीबियाई वायुसेना के दो पायलट अपने जेट विमानों के साथ माल्टा पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें प्रदर्शनकारियों पर बम फेंकने का आदेश दिया गया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया है. इनमें से एक ने माल्टा में राजनीतिक शरण मांगी है.
ऐसा लगता है कि लीबिया में एक भावी प्रशासनिक संरचना के निर्माण में ऐसे लोगों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: एन रंजन