ग्रीस में फंसे बेसहारा बच्चों को अपनाएगा जर्मनी
९ मार्च २०२०जर्मन सरकार ने कहा है कि देश ग्रीस की सीमा पर रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे 1,500 प्रवासी बच्चों को शरण देने जा रहा है. एक बयान जारी कर जर्मन प्रशासन ने कहा, "यूरोपीय देशों के स्तर पर एक मानवीय समाधान किए जाने को लेकर बातचीत चल रही है ताकि ऐसे 'इच्छुकों का एक गठबंधन' ऐसे बच्चों को स्वीकार कर सके." यह भी कहा गया कि इनमें से जर्मनी खुद भी जितना "उचित" होगा उतना भार उठाएगा.
राजधानी बर्लिन में सात घंटे तक चली बातचीत के बाद जारी हुए इस बयान में लिखा है, "हम ग्रीस द्वीपों पर फंसे 1,000 से 1,500 बच्चों को कठिन मानवीय हालातों से निकालने में ग्रीस की मदद करना चाहते हैं." यहां कई बच्चे ऐसी दुर्दशा झेल रहे हैं जिसमें उन्हें या तो मेडिकल सुविधा की जरूरत है या फिर वे बिना किसी बड़े के बेसहारा हो गए हैं.
हाल के दिनों में यूरोपीय देशों से इनके लिए द्वार खोलने की मांग काफी जोर शोर से उठी है. तुर्की की सीमा पर आप्रवासियों को यूरोप में दाखिल होने से ना रोकने के कारण ग्रीस में ऐसी स्थिति बन गई है. पिछले एक हफ्ते में कई बार यहां पहुंचे आप्रवासियों के साथ ग्रीस पुलिस की झड़पें हुईं जिसमें उन पर आंसू गैस से लेकर पानी की तेज धार तक छोड़ी गई. ऐसे हालात में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान ब्रसेल्स में ईयू के साथ बैठक करने वाले हैं. 2016 में दोनों पक्षों के बीच आप्रवासियों को लेकर हुए समझौते को हाल ही में तुर्की ने तोड़ दिया है. तुर्की का आरोप है कि ईयू ने 6 अरब यूरो की मदद राशि देने का जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया.
एक बार फिर रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे अलग थलग पड़ गए बच्चों को ग्रीक द्वीप से निकाल कर बेहतर और सुरक्षित मुख्यभूमि में लाने की जरूरत महसूस की जा रही है. इसके लिए एक हफ्ते पहले ही यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने सभी ईयू सदस्य देशों से अपील की थी कि वे बच्चों की मदद के लिए आगे आएं. फ्रांस, पुर्तगाल, लक्जमबर्ग, फिनलैंड, क्रोएशिया और जर्मनी ऐसा करने की मंशा जता चुके हैं. अब जर्मन सरकार की इस घोषणा के साथ ही उन बच्चों में से कम से कम 1,500 को जर्मनी द्वारा अपनाए जाने का रास्ता खुलेगा.
आरपी/आईबी (एएफपी, डीपीए)
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