चौराहे पर ग्रीस का लोकतंत्र
३१ मई २०१३राजनीतिक जानकार आमतौर से इस बात पर सहमत हैं कि कर्ज संकट उभरने के पहले तक ग्रीस में लोकतंत्र अब तक की सबसे बेहतर स्थिति में काम कर रहा था. समाजशास्त्री लियास कातसुलिस का तो मानना है कि मौजूदा संकट के दौर में भी ग्रीक लोगों के लिए वह अपनी उपलब्धियों को याद करने का एक अच्छा जरिया साबित हो सकता है. डीडब्ल्यू से बातचीत में कातसुलिस ने कहा, ''1974 में सैनिक तानाशाही के पतन के बाद ग्रीस पश्चिमी लोकतंत्र वाला देश बन गया जहां वैकल्पिक सरकार के लिए राजनीतिक दल बारी बारी से सत्ता संभाल रहे हैं.'' कातसुलिस ने यह भी कहा कि देश लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति ईमानदार रहा है.
समर्थकों की राजनीति बनाम लोकतंत्र
राजनीतिक सलाहकार लेवेतेरिस कोउसुलिस इस बात से सहमत हैं कि लोकतंत्र ग्रीक समुदाय का एक अटूट हिस्सा है, और इसके पीछे वो 1981 में ग्रीस के यूरोपीय संघ में शामिल होने को पूरा नहीं तो कुछ हद तक श्रेय देते हैं. लेकिन उनका मानना है कि देश पार्टी लोकतंत्र के कारण बिगड़ रहा है, ''हालांकि बिना राजनीतिक दलों के लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती लेकिन इन पार्टियों के हित का इस्तेमाल लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने में नहीं होना चाहिए.'' कोउसुलिस मानते हैं कि ग्रीस के राजनीतिक दलों के सर्वशक्तिमान होने की वजह से देश में समर्थकों के हित में सत्ता का इस्तेमाल करने के लिए दरवाजे खुल गए.
राजनीतिक समर्थकों के लिए राजनीति करने की बात दूसरी जगहों पर भी दिखती है. एक दशक पहले जब ग्रीक सरकार ने नागरिक पहलकदमियों और गैर सरकारी संगठनों को रजिस्टर करना शुरू किया था तो इस तरह 45,000 संगठन थे. कातसुलिस का कहना है कि उनमें से कई असली नहीं थे, उन्हें नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों ने सरकारी पैसा लेने के लिए बनाया था. नतीजतन असली नागरिक पहलकदमियों के लिए आम लोगों का ध्यान आकर्षित करना और भरोसा जीतना मुश्किल होता है.
राजनीतिक संकट में ग्रीक मीडिया की भूमिका की विशेषज्ञों ने व्यापक आलोचना की है और कोउसुलिस कहते हैं कि यह बेवजह नहीं है. "नए विचार का प्रतिनिधित्व करने वाली पहलकदमी तभी ध्यान में आती है जब वह मौजूदा सत्ता तंत्र और पार्टी दिग्गजों का इस्तेमाल करती है."
बिखरी राजनीतिक जमीन
ग्रीस चट्टान और कड़ी जमीन के बीच फंसा है क्योंकि जिन दिग्गज राजनेताओं की करनी से यहां संकट है, वही लोग देश को इस स्थिति से बाहर निकालने की जिम्मेदारी लेना चाहते हैं. कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस समस्या का हल संक्रमण काल है. इस काल में पार्टियों की जमीन को टूटने और फिर से विकसित होने का समय मिलना चाहिए. 2012 के दोहरे चुनाव में इसकी शुरुआत होती भी दिखी. इन चुनावों में रूढ़िवादियों और समाजवादियों के 15 फीसदी से ज्यादा वोट डेमोक्रैटिक लेफ्ट की तरफ चले गए.
मुश्किल यह है कि स्थापित दलों की जमीन का बिखरना और पुराने बड़े गुटों के टूटने की भी कीमत चुकानी होगी. 2012 से ही एक नवनाजी पार्टी की संसद में मौजूदगी है और सर्वे बताते हैं कि यह तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बन गई है. इस बात के आसार हैं कि अगर ग्रीस अपने लोकतांत्रिक जड़ों और मूल्यों की तरफ नहीं लौटा तो वो 2014 के यूरोपीय चुनावों में भी सीट हासिल कर सकते हैं.