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कारोबार

जगुआर लैंड रोवर अब सिर्फ इलेक्ट्रिक कार बनाएगी

१५ फ़रवरी २०२१

लग्जरी कार कंपनी जगुआर ने फैसला किया है कि अब वह सिर्फ इलेक्ट्रिक कारें बनाएगी. इस फैसले पर अमल के लिए कंपनी के पास करीब चार साल का समय है. 2025 के बाद कंपनी पूरी तरह से खुद को इलेक्ट्रिक कार कंपनी में बदल लेगी.

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Jaguar F-Type SVR
तस्वीर: Jaguar Land Rover Ltd

टाटा के स्वामित्व वाली ब्रिटिश कंपनी लैंड रोवर जगुआर ने इस बारे में बयान जारी कर जानकारी दी है. बयान में कहा गया है कि कंपनी इस दशक के मध्य से खुद को पूरी तरह से बदलने की प्रक्रिया शुरू करेगी और पूरी तरह से इलेक्ट्रिक लग्जरी ब्रैंड के रूप में स्थापित होगी. कंपनी ने 2039 तक नेट जीरो कार्बन कंपनी बनने का लक्ष्य तय किया है.

कंपनी के बयान में यह भी कहा गया है कि ब्रिटेन के गैर उत्पादक संयंत्रों को घटाया जाएगा. हालांकि इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि क्या इसकी वजह से कुछ लोगों की नौकरियां भी जाएंगी. इस बीच नई योजना पर कंपनी 2.9 अरब यूरो हर साल खर्च करेगी और पूरी तरह से इलेक्ट्रिक पहली लैंड रोवर कार का मॉडल 2024 में पेश किया जाएगा. इसके लिए ब्रिटेन में मॉडल के विकास पर पहले से ही काम चल रहा है और पहला प्रोटोटाइप अगले 12 महीने में सड़कों पर होगा.

Land Rover Evoque
तस्वीर: Reuters/A. Song

बयान में कहा गया है कि जगुआर और लैंड रोवल दोनों ब्रैंड के लिए दो बिल्कुल अलग तरह की कारें तैयार की जाएंगी जो उनके "अनोखे व्यक्तित्व" के अनुरूप होंगी. स्वच्छ ईंधन वाली कारें तैयार करने की दिशा में बढ़ कर कंपनी आगे हाइड्रोजन इकोनॉमी के रूप में परिपक्व होना चाहती है.

जगुआर लैंड रोवर का स्वामित्व टाटा मोटर्स के पास है जो टाटा समूह का हिस्सा है. कंपनी के तरफ से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि जगुआर लैंड रोवर टाटा ग्रुप की कंपनियों के साथ अपना ज्ञान बांटने और करीबी सहयोग के जरिए एक तरफ टिकाऊ तरीकों को बढ़ावा देगी तो दूसरी तरफ उत्सर्जन घटाने के साथ ही अगली पीढ़ी की तकनीक, डाटा और सॉफ्टवेयर के विकास को नेतृत्व देगी.

Tata Group Vorsitzender Ratan Tata PK zu Landrover Jaguar
रतन टाटा ने फोर्ड मोटर्स से जगुआर लैंड रोवर को खरीदा था.तस्वीर: AP

लग्जरी कारों के बाजार में जगुआर और लैंड रोवर दोनों का बड़ा सम्मान रहा है. खासतौर से एसयूवी और ऑफरोडिंग को पसंद करने वाले लोगों के बीच लैंड रोवर का बोलबाला रहा है. टेस्ला के बाजार में आने और पर्यावरण को लेकर चर्चाएं तेज होने के बाद पारंपरिक कार मॉडलों की मुश्किल बढ़ गई  है. ज्यादा से ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक कारों की तरफ मुड़ रहे हैं.

कुछ महीने पहले नॉर्वे में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री ने पेट्रोल डीजल की कारों को पीछे छोड़ दिया. इलेक्ट्रि कारों के लिए चार्जिंग स्टेशन जैसी बुनियादी सुविधाएं बढ़ने के बाद इसमें और अधिक तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है. ऐसे में पारंपरिक रूप से मजबूत रही कार कंपनियां भी इलेक्ट्रिक कारों के मॉडल पेश करने में जुट गई हैं.

एनआर/आईबी (एएफपी)

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