जर्मन सेना पर 100 अरब यूरो खर्च करने का रास्ता साफ
३० मई २०२२रविवार शाम इस मुद्दे पर सरकार और विपक्षी दल में सहमति बनी कि सेना की जरूरतों के मुताबिक साजो सामान खरीदने के लिए एक विशेष कोष बनाया जाए. इस कदम से जर्मनी, नाटो के उस लक्ष्य को हासिल करने में भी सफल होगा जिसमें सदस्य देशों को अपनी जीडीपी का दो फीसदी सुरक्षा जरूरतों पर खर्च करना है.
कहां अटका था मामला
जर्मनी की सरकार को इस मामले में धन मुहैया करवाने के लिए राष्ट्रीय संविधान के बजट से जुड़े नियमों में बदलाव करने होंगे. इसी वजह से यह मामला अटका हुआ था. कई हफ्तों तक सत्ताधारी गठबंधन में शामिल पार्टियों और पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी के बीच बातचीत के बाद समझौता हुआ है.
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इस साल फरवरी में यूक्रेन पर रूसी हमले के तीन दिन बाद ही चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने जर्मन सेना के पुराने उपकरणों को आधुनिक बनाने के लिए 100 अरब यूरो के विशेष कोष का एलान किया. हालांकि शॉल्त्स के आलोचक उन पर यूक्रेन की मदद में लचर रुख अपनाने का आरोप लगाते हैं. खासतौर से यूक्रेन को हथियार देने के लिए ठोस कदम उठाने में देरी पर शॉल्त्स की आलोचना हुई.
जर्मन पार्टियों के बीच हुए समझौते में यह भी कहा गया है कि इससे जर्मनी नाटो सदस्य के तौर पर जीडीपी का 2 फीसदी रक्षा जरूरतों पर खर्च करने के लक्ष्य को भी "औसत रूप के कई सालों में" हासिल कर लेगा. इस अभूतपूर्व कोष के लिए सरकार अतिरिक्त कर्ज लेगी. इसके लिये जरूरी था कि वह संविधान में कर्ज के लिए नियमों को बदले. ये नियम सरकारी कर्ज की सीमा तय करने के लिए बनाये गये हैं. संविधान के नियमों में संशोधन के लिए दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है. यही वजह है कि सरकार को विपक्षी दलों के समर्थन की जरूरत थी. 100 यूरो की रकम राष्ट्रीय बजट से अलग होगी.
जर्मन सरकार की आलोचना
सेना के लिए धन देने का फैसला जर्मनी की नीतियों में बहुत बड़ा बदलाव है. हाल के वर्षों में जर्मनी नाटो के हिसाब से पैसा नहीं खर्च करने के लिए आलोचना सहता आया है. खासतौर से अमेरिका ने इस मामले में जर्मनी की बहुत खिंचाई की है. पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल में तो इन्हीं वजहों से जर्मनी में तैनात अमेरिकी सेना की कटौतीकरने की घोषणा कर दी गई थी.
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शीतयुद्ध खत्म होने के बाद जर्मनी ने अपनी सेना में भारी कटौती कर दी. कभी 5 लाख सैनिकों वाली जर्मन सेना में आज 2 लाख सैनिक हैं. जर्मन नौसेना की एक तिहाई से कम ही जहाज पूरी तरह से काम कर रहे हैं. इसी तरह एयरफोर्स के बहुत सारे लड़ाकू विमान भी उड़ान भरने के काबिल नहीं हैं.
हालांकि यूक्रेन पर हमले ने नाजी युग के डरावने दौर के बाद शिथिल पड़े देश को झकझोर दिया है. सरकार ने बीते महीनों में एलान किया है कि वह नया एयर डिफेंस सिस्टम और हमला करने वाले ड्रोनखरीदने के साथ ही अमेरिका से बेहद उन्नत लड़ाकू विमान एफ-35 भी खरीदेगी. सेना को आधुनिक बनाने के लिए कई और तरह की खरीदारी और उपायों पर विचार चल रहा है.
एनआर/आरएस (एएफपी)