जर्मनी की एएफडी से नहीं हटेगा "संदिग्ध चरमपंथी" लेबल
१३ मई २०२४जर्मनी की खुफिया एजेंसियां धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड यानी एएफडी को "संदिग्ध चरमपंथी" मान कर उस पर निगरानी रखती रहेंगी. जर्मनी की एक क्षेत्रीय उच्च अदालत ने यह फैसला सुनाया है. खुफिया एजेंसियों ने एएफडी और उसकी युवा शाखा युंगे अल्टरनेटिव दोनों को संदिग्ध दक्षिणपंथी गुट का दर्जा दिया है.
मुंस्टर की उच्च अदालत की सुनवाई में जज गेराल्ड बुक ने कहा कि एएफडी के प्रयासों में "पर्याप्त तथ्यात्मक संकेत" मौजूद हैं जो "कुछ लोगों के समूह की मानवीय गरिमा और लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ हैं." बुक ने इस के साथ यह भी कहा, "शरणार्थियों और मुसलमानों के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है." जर्मनी में संविधान का दर्जा रखने वाले 'बेसिक लॉ' के तहत यह एक "अस्वीकार्य भेदभाव" जैसा है.
उच्च अदालत की मुहर
जर्मन शहर कोलोन की निचली प्रशासनिक अदालत ने एएफडी के बारे में खुफिया एजेंसियों के इस आकलन को 2022 में सच माना था. इसके बाद एक संदिग्ध समूह के रूप में पार्टी के दफ्तर पर निगरानी रखने की मंजूरी दी गई थी. पार्टी ने उस फैसले के खिलाफ अपील की. अब नॉर्थ राइन वेस्टफालिया प्रांत की प्रशासनिक अदालत ने भी उस फैसले पर मुहर लगा दी है.
इस फैसले का मतलब है कि जर्मनी की घरेलू खुफिया एजेंसियां पार्टी की निगरानी को जारी रख सकती हैं. इसमें सर्विलांस का उपयोग और मुखबिरों से जानकारी हासिल करना शामिल हैं. खुफिया एजेंसियों ने इन संभावनाओं का अब तक इस्तेमाल किया है या नहीं या फिर कितना यह सरकार ने एजेंसियों पर ही छोड़ रखा है.
एएफडी की पहचान रहा है उनका आप्रवासी-विरोधी रुख. देश में आप्रवासियों की संख्या बढ़ने के साथ कुछ जर्मन मतदाताओं के मन में चिंता उभर रही है और पार्टी उसी का फायदा उठाती है. राष्ट्रीय स्तर पर इस समय पार्टी की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत तक पहुंच गई थी. खासतौर से चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के नेतृत्व में तीन पार्टियों के गठबंधन वाली सरकार से असंतुष्टि के दौर में. हालांकि हाल में हुए विवादों के बाद यह घट कर 16-18 फीसदी पर आ गई है.
जर्मनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी की युवा शाखा पर प्रतिबंध की आशंका क्यों
अदालत का फैसला यूरोपीय संसद के चुनाव से महज कुछ ही हफ्तों पहले आया है. इसके अलावा इसी साल जर्मनी के तीन राज्यों में भी चुनाव होने हैं. इनमें एएफडी के अच्छे प्रदर्शन के अनुमान लगाए जा रहे थे.
कई विवादों में फंसी एएफडी
इस साल की शुरुआत में हजारों लोगों ने जर्मनी के कई शहरों में जमा हो कर चरमपंथ और खासतौर से एएफडी के खिलाफ प्रदर्शन किया. ये प्रदर्शन एक खोजी मीडिया संगठन करेक्टिव की एक रिपोर्ट सामने आने के बाद शुरू हुए. यह रिपोर्ट एएफडी के सदस्यों और जाने माने दक्षिणपंथी लोगों के बीच बैठक पर थी जिसमें बड़े पैमाने पर प्रत्यर्पण की योजना पर चर्चा हुई.
इसके बाद यूरोपीय संसद में एएफडी के सदस्य माक्सिमिलियन क्राह पर जर्मन अभियोजकों की नजर है. उन पर रूस और चीन से धन लेने के आरोप हैं. इस जांच ने एएफडी के रूस से संबंध रखने के आरोपों को हवा दे दी है. इतना ही नहीं क्राह के पूर्व सहायक जियान गुओ को जर्मन पुलिस ने जासूसी के आरोपों में गिरफ्तार किया है. जासूसी का आरोप लगने के बाद क्राह ने गुओ को नौकरी से हटा दिया.
जर्मनी में कथित जासूसों की गिरफ्तारी पर नाराज चीन
मुंस्टर की अदालत का फैसला अंतिम नहीं है. एएफडी लाइपजिष की संघीय प्रशासनिक अदालत में अपील कर सकती है. एएफडी के संघीय बोर्ड सदस्य रोमान रॉयश ने पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा है, "निश्चित रूप से हम इस पर अगले कदम में अपील करेंगे."
फैसले की व्याख्या करते हुए जज बुक ने कहा कि घरेलू खुफिया सेवाओं के अधिकार "किसी भी तरह से सीमारहित नहीं" हैं, लेकिन एक लचीले लोकतंत्र को "बिना दांत वाला बाघ" भी नहीं होना चाहिए. सबसे ऊपर यह है कि एक राजनीतिक पार्टी की निगरानी बहुत सारी कानूनी बाधाओं के साथ होती है. खुफिया एजेंसियों को "पर्याप्त रूप से प्रमाणित परिस्थितियां" पेश करनी होंगी जो बताएं कि यह समूह जर्मनी के लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ प्रयासों में जुटा है.
घरेलू खुफिया सेवा के प्रमुख थोमास हाल्डेनवांग ने फैसले के बाद कहा है, "हमारे स्वतंत्र और लोकतांत्रिक बुनियादी व्यवस्था का सूरज चमक रहा है."
एनआर/आरपी (डीपीए, एएफपी)