जर्मनी की लैबों में यूं ही मार दिए जाते हैं लाखों जानवर
२३ अप्रैल २०२०जर्मनी में रिसर्च और प्रयोगों के लिए लाखों जानवरों की ब्रीडिंग होती है और फिर उनका इस्तेमाल किए बिना ही उन्हें मार दिया जाता है. गुरुवार को जारी एक सरकारी रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.
संघीय कृषि मंत्रालय का कहना है कि इस तरह 2017 में जर्मनी में लगभग 39 लाख जानवर मारे गए जबकि पूरे यूरोपीय संघ में यह आंकड़ा 1.26 करोड़ के आसपास है. ग्रीन पार्टी की तरफ से आधिकारिक संसदीय आग्रह के बाद यह आंकड़ा जारी किया गया है और इसे जर्मन अखबार नोए ओस्नाब्रुकर साइटुंग के साथ साझा किया गया है.
ग्रीन पार्टी में पशु कल्याण नीति की प्रमुख रेनेटे क्यूनास्ट ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार पर आरोप लगाया है कि वह आंकड़ों पर लीपापोती करती रही है. उनका कहना है कि सरकार सिर्फ उन जानवरों की संख्या बताती रही है जिन्हें प्रयोगों में इस्तेमाल किया जाता है. इससे पहले कृषि मंत्रालय ने कहा कि 2017 के दौरान रिसर्च के लिए 28 लाख जानवर मारे गए थे.
क्यूनास्ट कहती हैं, "तो राष्ट्रीय सांख्यिकी आंकड़ों में एक जानवर दिखता है" जबकि असल में "एक या दो जानवर ज्यादा मारे जाते हैं." ब्रीडिंग से पैदा जानवरों को इस्तेमाल किए बिना आम तौर पर इसलिए मार दिया जाता है क्योंकि उनमें वे लक्षण नहीं होते हैं जिनकी तलाश वैज्ञानिकों को रहती है.
जर्मनी में 2017 में सबसे ज्यादा जानवर ब्रीड किए गए थे. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इनमें ज्यादातर चूहे थे. इसके अलावा मछलियां, बंदर, कुत्ते और बिल्लियां भी इन जीवों में शामिल थे. इसमें से 50 प्रतिशत जानवरों को बुनियादी शोध प्रयोगों में इस्तेमाल किया गया था. 27 प्रतिशत पर नई दवाओं के असर को परखा गया जबकि 15 प्रतिशत विशेष प्रकार की बीमारियों की पड़ताल में इस्तेमाल किए गए.
जर्मनी के कॉस्मेटिक उद्योग में 1998 से जानवरों के प्रयोगों पर प्रतिबंध है. यूरोपीय संघ में यह प्रतिबंध 2004 में लागू किया गया.
__________________________
हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore