जर्मनी में आज लॉकडाउन पर फैसला
२२ मार्च २०२०बवेरिया और जारलैंड प्रांतों ने एक दिन पहले ही कर्फ्यू लागू कर दिया है और रिपोर्ट है कि आम तौर पर उसका पालन किया गया है. बवेरिया की पुलिस का कहना है कि कर्फ्यू को तोड़ने के इक्का दुक्का मामले ही सामने आए हैं. आम तौर पर लोगों ने अनुशासन दिखाया है और कर्फ्यू की शर्तों को मानने के लिए तैयार हैं. कई हलकों में सरकार की इस बात के लिए आलोचना हो रही है कि सारे देश में एक तरह के कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आज हो रही बातचीत में यही मुद्दा मुख्य रहेगा. इस बैठक में चांसलर और प्रांतीय मुख्यमंत्रियों के अलावा केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्री भी भाग लेंगे.
देश को लॉकडाउन करने के मुद्दे पर हो रही बहस में जर्मनी के राजनीतिज्ञों में एक राय नहीं है. लोवर सैक्सनी के मुख्यमंत्री एसपीडी के श्टेफान वाइल कर्फ्यू से यथासंभव बचना चाहते हैं, क्योंकि इसका मतलब होगा कि लोगों को अपने घरों में बंद हो जाना पड़ेगा. मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि कर्फ्यू लगाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. जर्मनी के बड़े शहरों में लोग आम तौर पर फ्लैटों में रहते हैं और बच्चों वाले परिवारों को फ्लैटों में बंद कर देना नई समस्याएं पैदा कर सकता है. अभी सारे स्कूल भी बंद हैं और आम तौर पर बच्चे पार्क में खेलने के लिए जाते हैं और खुली हवा में सांस लेने के लिए बाहर निकलते हैं.
साझा नियमों की मांग
जर्मनी के सबसे बड़े प्रांत और कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित नॉर्थ राइन वेस्टफेलिया के गृह मंत्री हैर्बर्ट रॉयल ने सारे देश में एक जैसे नियमों की वकालत की है. चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के रॉयल का कहना है, "जरूरत पूरे प्रांत में या पूरे देश में ऐसे नियमों की है जो कई लोगों के एक जगह इकट्ठा होने या सार्वजनिक रूप से मिलने को रोकें." रॉयल का कहना हे कि नियमों को जब सख्ती से लागू किया जाएगा तभी कोरोना के खिलाफ लड़ा जा सकता है. जारलैंड के मुख्यमंत्री सीडीयू के टोबियास हंस का कहना है कि यहां जीवन मरण का सवाल है. प्रांत में कर्फ्यू लगाने का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, "बहुत से लोग इसे समझ गए हैं, लेकिन बहुत लोगों के कान से हमारी अपीलें बाहर निकल गई हैं."
राइनलैंड पलैटिनेट की मुख्यमंत्री एसपीडी की मालू द्रायर ने सरकारों के बीच सहमति से उठाए जाने वाले कदमों की मांग की है और बवेरिया के मुख्यमंत्री द्वारा उठाए गए एकतरफा कदम की आलोचना की है. उन्होंने कहा,"लोगों के बीच अत्यधिक असुरक्षा की इस स्थिति में हमें अधिकतम स्पष्टता का परिचय देना चाहिए. इसके लिए हमें साझा नियम की जरूरत है जिसमें हम क्षेत्रीय जरूरतों के हिसाब से कदम उठा सकें." पुलिस ट्रेड यूनियन ने भी सरकार से कर्फ्यू और प्रतिबंधों की घोषणा करते समय स्पष्ट और सबको समझ में आने वाले कदमों की मांग की है.
राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी लियोपोल्डिना ने कोरोना को रोकने के लिए प्रतिबंधों का समर्थन किया है. उसने संयमित बयान में कहा है, "ऐसा लगता है कि मौजूदा स्थिति में सारे जर्मनी में स्पष्ट दूरी बनाए रखने के साथ आंशिक (तीन सप्ताह) लॉकडाउन वैज्ञानिक तौर पर सलाह योग्य है." अकादमी ने कहा है कि इस अवधि में जरूरी और स्वास्थ्य को बनाए रखने वाली गतिविधियों की इजाजत रहनी चाहिए.
स्पेन और इटली
स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज का कहना है कि कोरोना संकट में देश में अभी स्थिति और खराब होगी. उन्होंने कहा, "अभी तक हमने ताकतवर और नुकसानदेह लहरों के नतीजों का अहसास नहीं किया है जो हमारी भौतिक और नैतिक क्षमताओं की सीमाओं के साथ साथ समाज के प्रति हमारे दृष्टिकोण को परखें." स्पेन ने 1936 से 1939 तक चले गृहयुद्ध के बाद ऐसी असाधारण स्थिति का सामना नहीं किया है. उस समय गृहयुद्ध में देश के पांच लाख लोग मारे गए थे. स्पेन की सरकार देश में इमरजेंसी और कर्फ्यू को 12 अप्रैल तक बढ़ रही है. प्रधानमंत्री सांचेज ने ये जानकारी रविवार को क्षेत्रीय सरकार प्रमुखों को दी है. शनिवार तक देश में कोरोना से संक्रमित लोगों की तादाद बढ़कर 25,000 हो गई, जबकि वायरस से 1,300 लोगों की मौत हुई है. सिर्फ शनिवार को ही 5,000 लोग संक्रमित हुए हैं और 300 लोगों की मौत हुई.
कोरोना वायरस के अबाध प्रयार को देखते हुए इटली ने अपनी अर्थव्यस्था के कुछ हिस्सों को बंद करने की घोषणा की है. प्रधानमंत्री जुजेप कोंटे ने घोषणा की है कि देश को सप्लाई चेन को बने रखने के लिए जरूरी उद्यमों को छोड़कर बाकी उद्यमों को 3 अप्रैल तक बंद किया जा रहा है. सुपर बाजार और दवा की दुकानों के अलावा पोस्ट और बैंक की सेवाएं चालू रहेंगी. परिवहन जैसी महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवाएं भी चालू रहेंगी. प्रधानमंत्री कोंटे ने कहा, "द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ये हमारे लिए सबसे गंभीर संकट है." इटली में शनिवार को एक दिन में अबतक सबसे ज्यादा 800 लोगों की मौत हुई है. कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में वह चीन को पीछे छोड़कर दुनिया में पहले नंबर पर आ गया है.
एमजे/एके (डीपीए, रॉयटर्स)
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