जर्मनी में मां बनने का मतलब क्यों है आय में कमी
९ मई २०१९ट्रेड यूनियन के करीबी हंस बोएक्लर फाउंडेशन के अनुसार नवजात शिशु की देखभाल के लिए ली जाने वाली छुट्टी वेतन में कमी के साथ जुड़ी है. संस्था के आर्थिक और सामाजिक विज्ञान संस्थान द्वारा कराए गए एक आकलन के अनुसार 12 महीने की छुट्टी का मतलब प्रति घंटे आय में 10 प्रतिशत की कमी होता है जबकि एक साल से कम छुट्टी लेने पर भी 6.5 प्रतिशत की कमी होती है. सर्वे के लिए समाजविज्ञानी इवोन लॉट और लोरेना यूलगेम ने ऐसी महिलाओं के पैनल के डाटा का इस्तेमाल किया है जो मातृत्व अवकाश ले चुके हैं और उसके पहले या बाद में फ्लेक्सिबल वर्क टाइम में काम कर रहे थे.
सर्वे के लेखकों का कहना है कि बच्चे के जन्म के बाद लंबी छुट्टी लेना बहुत से नियोक्ताओं की नजर में काबिलियत में कमी होता है. खासकर उच्च प्रशिक्षित कामगारों के लिए यह बड़ी समस्या है. यदि मातृत्व अवकाश के बाद कामकाजी महिलाएं तय काम के समय के बदले अनियमित समय वाला काम लेती हैं तो वेतन में और भी कमी हो जाती है. लंबे अवकाश के बाद अनियमित काम के समय वाली नौकरी में वेतन में करीब 16 प्रतिशत का नुकसान होता है.
इसके विपरीत मातृत्व अवकाश नहीं लेने वाली महिलाएं यदि अनियमित काम के समय का फैसला करती हैं तो उन्हें प्रति घंटे आय में करीब 4.5 प्रतिशत का फायदा होता है. हालांकि फ्लेक्सिबल वर्क टाइम की अवधारणा काम और परिवार में सामंजस्य बिठाने के लिए है ताकि कामकाजी मांओं की आय पर कम से कम असर पड़े और वे परिवार के बावजूद अपनी पसंद का काम करना जारी रख सकें, लेकिन सर्वे के लेखकों के अनुसार अमेरिका के विपरीत जर्मनी में ऐसा नही है. बहुत से नियोक्ता मातृत्व को करियर के प्रति गंभीरता में कमी मानते हैं.
हंस बोएक्लर फाउंडेशन की स्टडी के अनुसार दूसरे कई देशों के काम और रोजगार में सामंजस्य बनाने में कामयाबी मिली है. स्वीडन में मातृत्व के वेतन पर लगभग कोई नकारात्मक असर नहीं होता. जर्मनी में स्थिति बेहतर बनाने के लिए और कामकाजी महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रहों को खत्म करने के लिए फाउंडेशन ने बच्चे के पैदा होने के बाद पितृत्व अवकाश की अवधि को बढ़ाने और पार्टनर के लिए टैक्स में छूट को खत्म करने की सलाह दी है.
एमजे/आईबी (डीपीए)
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