जहरीले कचरे की जर्मनी में प्रोसेसिंग
१० जून २०१२जर्मनी की विकास सहयोग मंत्रालय से जुड़ी कंपनी डजीआईजेड इंटरनैशनल सर्विसेस ने कहा है कि भोपाल से 346 मेट्रिक टन जहरीला कचरा हटाने के लिए उसे चार हजार कंटेनरों की जरूरत होगी और प्रशिक्षित कर्मचारियों की भी जो इस कचरे को अच्छे से पैक करेंगे. ये कंटेनर संयुक्त राष्ट्र की अनुमति वाले विशेष कंटेनर होंगे. और यह काम सिर्फ सर्दियों में ही किया जा सकेगा. जीईजेड के दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक हंस एच दूबे ने बताया, "हमें यूएन की अनुमति वाले चार से साढ़े चार हजार कंटेनर चाहिए, 120 लीटर वाले. यह कंटेनर खरीदे जाएंगे. फिर इसमें सारा कचरा सावधानी से भरा जाएगा, उसे जर्मनी भेजने से पहले पैक और सील किया जाएगा. पहले हमें इसके लिए लोग ढूंढने होंगे और उन्हें पूरी सुरक्षा देनी होगी (मास्क, विशेष कपड़े और बाकी उपकरण). हम यह काम सिर्फ सर्दियों में ही कर सकते हैं क्योंकि तापमान कम होगा और वह भी रात में."
दूबे ने जानकारी दी, "ये सभी कर्मचारी शिफ्ट में काम करेंगे और कोई भी दो घंटे से ज्यादा काम नहीं करेगा क्योंकि काम के दौरान सुरक्षा पर सबसे ज्यादा ध्यान रखा जाएगा."
शनिवार को भारत सरकार के मंत्रिमंडल समूह ने 346 मेट्रिक टन जहरीले कचरे को जर्मनी पहुंचाने और उसे वहां प्रोसेंसिंग के लिए सहमति दी. इस तरह के कामों के लिए इस्तेमाल होने वाले कंटेनरों के लिए संयुक्त राष्ट्र ने कुछ नियम बनाए हैं. उन्होंने बताया कि 90 मेट्रिक टन कचरा एक बार पैक हो जाए फिर उसे प्लेन से सही ठिकाने पर ले जाया जाएगा. अभी इस बारे में फैसला नहीं हो सका है कि इस कचरे को कहां डालना है.
दिसंबर 1984 में हुई भोपाल गैस दुर्घटना में 15,000 लोगों की मौत हुई जबकि छह लाख लोग प्रभावित हैं. सरकारी आंकड़े के मुताबिक इस दुर्घटना के पीड़ितों को कुल 3000 करोड़ का मुआवजा दिया गया है. यह राशि 5,295 मृतकों के परिवारों, हमेशा के लिए अक्षम हो चुके 4.902 लोगों, हल्की चोट वाले पांच लाख लोगों और कुछ समय के लिए शारीरिक रूप से अक्षम हुए 35 हजार लोगों को दिए गए हैं.
जून 2011 में भारत के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पर्यावरण और वन मंत्रालय के अधिकारियों ने जीआईजेड प्रतिनिधियों से मुलाकात की ताकि यूनियन कार्बाइड में पड़े कचरे के मसले का कुछ उपाय किया जा सके.
प्रदूषित कचरे के सुरक्षित और जिम्मेदार निबटारे के लिए संयुक्त राष्ट्र के व्यापक नियमों के आधार पर कचरे को हटाने के लिए कम से कम साल भर का समय तय किया गया है. प्रदूषित मिट्टी को एक बार सुरक्षित कर दिया जाए उसके बाद 2013 की शुरुआत में कचरा भेजने का काम शुरू हो सकेगा
जर्मनी में आर्थिक सहयोग और विकास मंत्रालय (बीएमजेड) ने अनुमति दे दी है कि वह भोपाल के जहरीले कचरे के निबटारे वाला प्रोजेक्ट ले. यह प्रोजेक्ट करीब 25 करोड़ रुपये का है. जर्मनी में जहरीले कचरों से निबटने की सुविधा मौजूद है और भारत सरकार का मानना है कि जर्मनी इस कचरे को सुरक्षित रूप से प्रोसेस कर सकेगा.
एएम/एमजे (पीटीआई)