जी-8 से जी-20 की ओर खिसकती धुरी
२६ जून २०१०इसका सबसे बड़ा कारण है 1930 जैसी भयानक मंदी रोकने में जी-20 की भूमिका और ख़ासकर चार देशों, ब्राज़ील, दक्षिण अफ़्रीका, भारत और चीन की बढ़ती हुई आर्थिक ताकत. सितंबर में ही जी-20 को वैश्विक आर्थिक सहयोग का सबसे मुख्य मंच घोषित किया गया था.
इस बार दोनों मंचों की शिखर भेंट एक ही सप्ताहांत के दौरान आयोजित की गई है, लेकिन मेज़बान कनाडा के प्रधान मंत्री स्टीफ़ेन हार्पर ने इस पर भी ज़ोर दिया है कि जी-8 अब भी सबसे ताकतवर और समृद्ध देशों का मंच बना हुआ है. जी-8 का महत्व इसलिए भी बना हुआ है, क्योंकि इसमें शामिल देशों के बीच प्रमुख आर्थिक सवालों पर सहमति प्राप्त करना अपेक्षाकृत रूप से आसान है.
लेकिन यहां भी अब ऐसे मतभेद सामने आ रहे हैं, जिन्हें पाटना मुश्किल हो गया है. वित्तीय संकट से उबरने के इस दौर में अमेरिका चाहता है कि सरकारी खर्च के ज़रिये उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित किया जाए, जबकि इसके विपरीत यूरोप व ख़ासकर जर्मनी की ओर से वित्तीय स्थिरता की ख़ातिर बचत पर ज़ोर दिया जा रहा है. जी8 शिखर भेंट में इस सिलसिले में कोई सहमति नज़र नहीं आई है. लेकिन जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल का कहना है कि आर्थिक प्रश्नों पर कोई गंभीर विवाद नहीं हुआ है.
मैं समझती हूं कि सवाल हर क़ीमत पर बचत का नहीं है, बल्कि बुद्धिमानी के साथ बचत की है, ताकि भविष्य की संरचनाएं सुरक्षित रहें और यहां मैं इसे स्पष्ट करुंगी. - अंगेला मैर्केल
बराक ओबामा का नारा है, बचत नहीं, लेकिन नियंत्रण. वे अपनी जेब में कामयाबी का एक दस्तावेज़ लेकर आए हैं. अमेरिकी कांग्रेस ने वित्तीय बाज़ार पर अधिक नियंत्रण के लिए एक विधेयक पारित किया है.
संकट पैदा करने वाले जटिल लेनदेन को सामने लाते हुए हम अपनी वित्तीय प्रणाली को और पारदर्शी बनाएंगे. मिसाल के तौर पर डेरिवेट मार्केट में 600 ख़रब डालर का व्यापार. हम इस पर भी ध्यान देंगे कि राज्य द्वारा समर्थित बैंक जोखिम के व्यापार में हिस्सा न लें. - बराक ओबामा
इस बीच जी8 बैठक में दक्षिण कोरियाई जहाज़ डूबाने के सवाल पर उत्तर कोरिया की निंदा का एक प्रस्ताव पारित करने की कोशिश चल रही है. साथ ही मेज़बान कनाडा ने सूचित किया है कि बैंक पर टैक्स लगाने के सवाल पर मतभेद बने हुए हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: एस गौड़