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टाइगर ईयर में ख़त्म होते बाघ

१४ जनवरी २०१०

दुनिया भर के बाघ संरक्षकों को बहुत बड़ा झटका तब लगा जब इस महीने वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर ने बाघों की आबादी महज 3,500 बताई. गौरतलब है कि इसके पहले डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने दुनिया भर में बाघों की तादाद 4000 के करीब बताई थी.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

घटते बाघ: एशिया में पाए जाने वाले इस राजसी प्राणी के भविष्य पर मनुष्य की काली नज़र बहुत पहले से पड़ चुकी है. प्रकृति के इस भव्य, ताकतवर, अद्भुत और शाही प्राणी को बचाने के लिए अब तक जितनी भी योजनाएं बनीं, उन्हें ठीक से पालन नहीं करने से और लगातार बढ़ती मानव जनसंख्या से जंगलों पर इतना दबाव पड़ रहा है कि कमोबेश हर क्षेत्र में जंगल पिछले एक दशक में अपनी वास्तविक सीमाओं से 47 प्रतिशत तक सिकुड़ चुके हैं. भारत और चीन जैसे ज्यादा आबादी वाले देशों में तो स्थिति भयावह हो चुकी है.

संकटग्रस्त प्रजाति: एशिया में बाघों की कुल नौ प्रजातियां हैं, जिन्हें क्षेत्र के आधार पर बांटा गया है. इसमें साइबेरियन बाघ, जो रूस के सुदूर और दुर्गम साइबेरिया के बर्फीले जंगलों में अब शायद सिर्फ 450 के करीब बचे हैं. रॉयल बंगाल टाइगर, जो भारत, नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के जंगलों में पाया जाता है. इनकी संख्या कुल 1800 के आस पास है.

बंगाल टाइगर की सबसे निकटतम प्रजाति है इंडोचाइनीज टाइगर, जो कभी लाओस, वियतनाम, कम्बोडिया और मलयेशिया में पाया जाता था. इनकी संख्या अब सिर्फ 300 बची है. इसके अलावा मलय टाइगर जो थाइलैंड और मलयेशिया में पाया जाता है. यह अब सिर्फ 500 बचे हैं जिनमें से अधिकतर मानव निर्मित पशु शिविरों में पाए जाते हैं.
इसके अलावा सुमात्रा टाइगर, जो सुमात्रा द्वीप समूह में पाया जाता है. इसकी संख्या अब 400 बताई जा रही है. हिंद महासागर में बसे जावा और बाली द्वीपों में पाए जाने वाले जावा टाइगर और बाली टाइगर, जो आकार में सबसे छोटे माने जाते थे, अब विलुप्त मान लिए गए हैं. किसी ज़माने में उत्तर एशिया में मंगोलिया से लेकर कज़ाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, ईरान, इराक से लेकर तुर्की तक पाया जाने वाला कैस्पियन टाइगर भी अब विलुप्त हो चुका है.
उम्मीद की किरण: हां, दक्षिणी चीन में साउथ चायना टाइगर के होने की सिर्फ खबरें ही आती रही हैं. पिछले दो दशक से उसे देखा नहीं गया है. इसके अलावा अभी कुछ दिनों पहले डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने इंडोनिशिया में अपने दो शावकों के साथ एक मादा बाघिन का वीडियो भी दिखाया है, जो इस बात की दिलासा देता है कि अभी भी कुछ उम्मीद बाकी है.

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बंगाल के सफ़ेद बाघतस्वीर: AP
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तस्वीर: DPA

बचाने की क़वायदः भारत और नेपाल ने अपने अपने इलाकों में टाइगर रिजर्व में इस प्राणी को बचाने की कुछ कोशिशें शुरू कर दी हैं. जैसे भारत में सरकार ने जंगलों की सुरक्षा के लिए टाइगर टास्क फोर्स बनाने और रिजर्व में बसे लोगों को अन्यत्र विस्थापित करने के लिए विश्व बैंक के साथ 2000 करोड़ रुपये से भी अधिक की योजना बनाई है.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

नेपाल ने तराई के इलाक़े में रिज़र्व का क्षेत्रफल बढ़ाने की घोषणा कर बाघों के क्षेत्रफल को काफी विस्तारित कर दिया है. इसके अलावा डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और विश्व बैंक के साथ हर साल टाइगर कांफ्रेंस करने की घोषणा भी इस दिशा में एक अच्छा प्रयास है.

अवैध कारोबार के शिकार : चीन में इस साल टाइगर वर्ष मनाया जा रहा है और दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि इस कारण से इस वर्ष बाघ के अंगों की मांग में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है. एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य एशिया और चीन में बाघ के लिंग की कीमत 80,000 डॉलर प्रति 10 ग्राम है, बाघ की खाल 10,000 से लेकर 1,00,000 डॉलर तक, बाघ की हड्डियां 9,000 डॉलर प्रति किलो तक बिक जाती हैं. हृदय और अन्य आंतरिक अंगों की कीमत भी हजारों लाखों में है. इसके बावजूद खरीदारों की कोई कमी नहीं है.
चीनी मान्यता के अनुसार मनाए जाने वाले टाइगर इयर में सभी को इस साल इस विलक्षण प्राणी को बचाने की कोशिश करनी चाहिए वरना आने वाले सालों में बाघ भी ड्रैगन की तर्ज़ पर क़िस्से कहानियों में देखा पढ़ा जाएगा.

सौजन्यः संदीपसिंह सिसोदिया, वेबदुनिया

संपादनः ए जमाल