टाइपराइटर खोजते रूसी जासूस
१३ अगस्त २०१३रूसी राष्ट्रपति और सरकार की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार खुफिया एजेंसी एफएसओ खुफिया सूचनाओं को कंप्यूटर पर सेव करना जोखिम का काम मानती है. इसलिए उसने एक जर्मन कंपनी की मदद ली है जो अभी भी ऐसी चीजें बेचती है जिसे आज शायद ही कोई खरीदता है, मसलन टाइपराइटिंग मशीन. डिजीटल संचार तकनीक के व्यापक प्रसार के बावजूद जर्मन शहर हाटिंगेन की कंपनी ओलंपिया बिजनेस सिस्टम्स अभी भी टाइप करने वाली मशीनें बेच रही है. उनकी मांग बनी हुई है.
ओलंपिया कंपनी टाइपराइटर की चार किस्में बेचती हैं. उनमें से दो मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक मॉडल हैं और दो कॉम्पैक्ट मशीनें जो डिस्पले के साथ या उसके बिना उपलब्ध हैं. इन मशीनों की कीमत 150 यूरो से 300 यूरो (12,000-24,000 रुपये) के बीच है.
नहीं मिलते मैकेनिकल टाइपराइटर
ओलंपिया हर साल करीब 3,000 टाइपराइटर बेच रहा है. कंपनी के मैनेजर आंद्रेयास फोस्टिरोपुलोस कहते हैं कि विश्व भर में इनकी तादाद हजारों में हो सकती है. खास कर विकासशील देशों में, जहां बिजली की भारी समस्या है, अभी भी मैकेनिकल टाइपराइटरों की भारी मांग है. कुछ साल पहले तक ओलंपिया सिस्टम्स इन देशों की मांगों को पूरा करने की हालत में था. बड़ी तादाद में मशीनें कंटेनरों में भरकर सप्लाई की जाती थीं. लेकिन अब मैकेनिकल टाइपराइटर नहीं बनते.
अब ऑफिस प्रोडक्ट में सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक टाइप मशीनें ही बच गई हैं. इसे पूरी दुनिया में बेचा जाता है. फोस्टिरोपुलोस कहते हैं, "हमारे ग्राहक पूर्वी एशिया में भी हैं, जिन्हें हम टाइपराइटर बेचते हैं, स्वाभाविक रूप से अरबी भाषा के अक्षरों के साथ." 60 कर्मचारियों वाली हाटिंगर की कंपनी के लिए कोई समस्या नहीं कि ग्राहक अरबी, चीनी या सिरेलिक अक्षरों वाले टाइपराइटर चाहते हैं. इलेक्ट्रिक टाइपराइटरों के लिए जरूरी डेजी व्हील फोंट हर भाषा में उपलब्ध है. सिर्फ मशीनों का मोटर चलाने के लिए हर देश में बिजली के खास वोल्टेज का ध्यान रखना पड़ता है.
सुरक्षित हैं इलेक्ट्रिक मशीनें
अपने प्रोडक्ट के साथ ओलंपिया बिजनेस सिस्टम्स हर साल 3.3 करोड़ यूरो का कारोबार करता है. उसमें करीब दो फीसदी हिस्सा टाइपराइटरों का है. रूसी खुफिया एजेंसी द्वारा टाइपराइटरों का महत्व पहचाने जाने के बावजूद कंपनी को इसकी बिक्री में वृद्धि में तेजी की उम्मीद नहीं है. आंद्रेयास फोस्टिरोपुलोस कहते हैं, "टाइपराइटर कुछ साल तक बने रहेंगे. लेकिन ऐसा नहीं है कि यह भविष्य की मुख्य तकनीक होगी." यह जरूर है कि टाइपराइटर इलेक्ट्रॉनिक जासूसी से सुरक्षित हैं. खास कर फाइबर रिबन के कारण, जिसे एफएसओ ने बड़े पैमाने पर खरीदा है.
फाइबर रिबन के बदले कार्बन रिबन से लिखे गए टेक्स्ट का पता किया जा सकता है. फोस्टिरोपुलोस कहते हैं कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी एनएसए भी इसका पता नहीं कर सकती है, "मैं नहीं जानता कि यह कैसे हो सकता है. यह किसी नेटवर्क के साथ जुड़ा नहीं होता." लेकिन एफएसओ को फाइबर रिबनों के लिए चार महीने का इंतजार करना होगा. इनका उत्पादन अब जर्मनी में नहीं होता. उसे चीन के कारखानों में बनाया जाता है. वैसे इनकी बिक्री से ओलंपिया कंपनी बहुत ज्यादा कमाएगी भी नहीं. रूसी ऑर्डर भले ही 4,86,540 रूबल का हो, लेकिन यूरोप के लिए यह सिर्फ 11,600 यूरो (करीब 10 लाख रुपये) का है.
रिपोर्ट: क्लाउस डॉयजे/एमजे
संपादन: ए जमाल