कैसे जानें कि आपको 'डिजिटल लत' लग गई है
२४ जून २०१९पिछले कुछ हफ्तों की खबरें देखें तो भारत में कहीं टिकटॉक को इस्तेमाल करने से रोकने पर दो बच्चों की मां ने आत्महत्या कर ली तो कहीं लगातार छह घंटे पबजी खेलने वाले एक छात्र की दिल के दौरे से मौत हो गई. विशेषज्ञों ने कहा है कि डिजिटल लत से लड़ने के लिए सबसे जरूरी बात इस लत के बढ़ने पर इसका एहसास करना है.
फोर्टिस हेल्थकेयर के मानसिक स्वास्थ्य एवं व्यावहारिक विज्ञान विभाग के निदेशक समीर पारिख ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, "लोगों के लिए काम, घर के अंदर जीवन, बाहर के मनोरंजन तथा सामाजिक व्यस्तताओं के बीच संतुलन कायम रखना सबसे महत्वपूर्ण काम है. उन्हें यह सुनिश्चित करना है कि वे पर्याप्त नींद ले रहे. यह बहुत जरूरी है."
पारिख ने यह भी कहा कि वयस्कों को प्रति सप्ताह चार घंटे के डिजिटल डिटॉक्स मॉडल को जरूर अपनाना चाहिए. इस अंतराल में उन्हें अपने फोन या किसी भी डिजिटल गैजेट का उपयोग नहीं करना है. उन्होंने बताया, "अगर किसी को इन चार घंटों में परेशानी होती है तो यह चिंता करने की बात है."
नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के मनोचिकित्सा विभाग के सीनियर कंसल्टेंट संदीप वोहरा ने कहा, "गैजेट्स के आदी लोग हमेशा गैजेट्स के बारे में सोचते रहते हैं या जब वे इनका उपयोग नहीं करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें नींद की परेशानी या चिड़चिड़ापन होने लगता है." उन्होंने बताया, "डिजिटल लत किसी भी अन्य लत जितनी ही खराब है. अगर आपको डिजिटल लत है, तो ये संकेत है कि आप अपने दैनिक जीवन से दूर जा रहे हैं. आप हमेशा स्क्रीन पर निर्भर हैं."
ऐसे लोग व्यक्तिगत स्वच्छता तथा अपनी उपेक्षा तक कर सकते हैं. वे समाज, अपने परिवार से बात नहीं करते और अपनी जिम्मेदारियों के बारे में सोचना या अपने नियमित काम करना भी बंद कर देते हैं. उन्होंने कहा, "ऐसे लोगों में अवसाद, चिंता, उग्रता, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन के साथ-साथ चीजों पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी भी हो सकती है." वोहरा ने सलाह दी कि लोगों को जब लगे कि उनका बच्चा स्क्रीन पर ज्यादा समय बिता रहा है तो उन्हें सबसे पहले अपने बच्चे से बात करनी चाहिए और उन्हें डिजिटल गैजेट्स से संपर्क कम करने के लिए कहना चाहिए.
-- गोकुल भगबती/आरपी (आईएएनएस)
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