टेक्सस में लगा खेलों में ट्रांसजेंडर लड़कियों पर प्रतिबंध
२६ अक्टूबर २०२१गवर्नर ग्रेग ऐबट ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और यह 18 जनवरी से लागू हो जाएगा. इसके पहले भी रिपब्लिकन पार्टी द्वारा शासित कई राज्यों में इस तरह के कानून लाए जा चुके हैं.
कानून के समर्थकों का कहना है कि ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों के पास महिला खिलाड़ियों के मुकाबले स्वाभाविक शारीरिक बढ़त होती है. उनका कहना है कि इस कानून से स्कूली खेलों में सबको बराबर अवसर मिलेगा.
रूढ़ीवादियों का अभियान
समान अधिकारों के समर्थक इस तरह के प्रतिबंधों की निंदा करते हैं और इन्हें भेदभावपूर्ण बताते हैं. उनका कहना है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ट्रांस महिलाएं या लड़कियां खेलों पर हावी हैं.
उनका मानना है कि ये कदम 'नफरत' की वजह से उठाए जा रहे हैं जिनका असली मकसद है सामाजिक रूढ़िवाद के प्रति पूरी तरह से समर्पित लोगों को उत्साहित करना. इसी साल सात दूसरे राज्यों ने इसी तरह के कानून पारित किए हैं.
मार्च 2020 में आइडहो ने पब्लिक स्कूलों और कॉलेजों में जन्म के समय महिला मानी गईं खिलाड़ियों की टीम के खिलाफ उन खिलाड़ियों के खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था जिन्हें जन्म के समय पुरुष माना गया हो. उसके बाद से रिपब्लिकन पार्टी ने इसे लेकर एक राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत कर दी थी.
कई दक्षिणपंथी विधेयक
हालांकि एक फेडरल अदालत ने आइडहो के बैन के लागू किए जाने पर रोक लगा रखी है. अदालत में इस प्रतिबंध को चुनौती दी गई थी. लेकिन आइडहो के बाद अलाबामा, अरकांसॉ, फ्लोरिडा, मिसिसिपी, मोंटाना, टेनेसी और वेस्ट वर्जिनिया की विधायिकाओं ने भी ऐसे ही कानून पारित कर दिए.
साउथ डकोटा के गवर्नर ने तो शासकीय आदेश ही जारी कर दिया. इनमें से भी कुछ कानूनों को अदालतों में चुनौती दी गई है. इसके बावजूद नेशनल कांफ्रेंस ऑफ स्टेट लेजिस्लेचर्स के आंकड़ों के मुताबिक जहां 2019 में इस तरह के सिर्फ दो विधेयक लाए गए थे, 2020 में इनकी संख्या बढ़ कर 29 हो गई.
2021 में अभी तक 31 राज्यों में इस तरह के विधेयक लाए जा चुके हैं. टेक्सस में तो इसके अलावा और भी कई दक्षिणपंथी विधेयक लाए गए हैं. इनमें मतदान को लेकर नए प्रतिबंध, गर्भपात को लेकर नए नियम और हथियार रखने के लिए परमिट की अनिवार्यता को हटाने के नए नियमों पर विधेयक शामिल हैं.
सीके/वीके (रॉयटर्स)