टेप कांड की राडिया विदेशी एजेंट!
११ दिसम्बर २०१०सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कॉरपोरेट लॉबीस्ट नीरा राडिया के फोन टेप करने के फैसले का जोरदार बचाव किया. कोर्ट में दायर रतन टाटा की याचिका का जवाब देते हुए गृह और वित्त मंत्रालय के साथ आयकर विभाग ने एक संयुक्त हलफनामे में कहा, ''16 नवंबर 2007 को वित्त मंत्रालय को एक शिकायत मिली. उसमें कहा गया था कि राडिया ने नौ साल की अल्प अवधि 300 करोड़ का रुपये का बिजनेस खड़ा कर दिया. वह विदेशी खुफिया एजेंसियों की एजेंट है और राष्ट्रविरोधी गितिविधियों में शामिल हैं. इस शिकायत को देखते हुए मामले की जांच करने के आदेश दिए गए.''
इसके बाद नीरा राडिया के फोन टेप किए गए. इस दौरान नीरा राडिया ने बरखा दत्त, वीर सांघवी और प्रभु चावला जैसे बड़े पत्रकारों से बात की. बरखा दत्त और वीर सांघवी पर आरोप हैं कि इन्होंने नीरा राडिया के इशारों पर मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस और डीएमके के संदेश वाहक का काम किया. मीडिया और इंटरनेट पर लीक हुए टेपों से पता चलता है कि किस तरह दयानिधि मारन को किनारे कर ए राजा को दूरसंचार मंत्री बनाने के लिए रणनीति तैयार की गई. बाद में ए राजा ही दूरसंचार मंत्री बने. राजा को हाल ही में 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले के चलते इस्तीफा देना पड़ा है.
लीक हुई बातचीत से पता चला है कि नीरा राडिया की प्रतिष्ठित उद्योगपति रतन टाटा से भी बात हुई. टाटा के मुताबिक यह बातचीत लीक होने की वजह से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है. टाटा ने अदालत से लीक हुई टेप के प्रसारण पर तुरंत रोक लगाने की मांग की और मामले की जांच की मांग भी की है.
इसके जबाव में आयकर विभाग ने साफ किया कि उसने नीरा राडिया के फोन टेपिंग की क्लिप किसी मीडिया संस्थान को नहीं दी. सरकार का कहना है कि वह मामले की जांच कर रही है. हालांकि सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर किसी टेलीकॉम कंपनी ने टेप लीक किया है तो उसके खिलाफ आयकर विभाग कार्रवाई नहीं कर सकता. साथ ही यह भी कहा गया है कि मीडिया और इंटरनेट में टेप के प्रसारण पर रोक लगाना संभव और व्यवहारिक नहीं है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: महेश झा