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कानून और न्याय

डाटा चुराने वाले फेसबुक के लाइक बटन पर लगी लगाम

२९ जुलाई २०१९

"हमें फेसबुक पर लाइक करें" ऐसा कहने वाली बेवसाइटों को अब बताना होगा कि वे यूजर्स का डाटा रिसीव कर रही हैं. आम लोगों के डाटा की चोरी को रोकने के लिए यूरोप की शीर्ष अदालत ने यह फैसला सुनाया है.

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तस्वीर: picture alliance / dpa

लक्जमबर्ग में यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने सोमवार को फैसला सुनाया है कि फेसबुक लाइक का विकल्प देने वाली वेबसाइटों को यूजर्स को डाटा संबंधी जानकारी देनी होगी. बहुत ही ऐसी वेबसाइट्स हैं जो यूजर्स से कहती हैं कि फेसबुक पर उन्हें लाइक करें. कई ऐसी भी वेबसाइट्स है जो लाइक का ऑप्शन क्लिक किए बगैर नहीं खुलती हैं. अब तक ऐसी वेबसाइट्स को लाइक करते ही यूजर्स का डाटा अलग अलग कंपनियों के सर्वरों में स्टोर हो जाता था.

यूरोप की शीर्ष अदालत के फैसले से पहले तक "लाइक" बटन के जरिए यूजर्स का डाटा पाने वाली कंपनियां उत्तरदायी नहीं थीं. लेकिन ताजा फैसले के बाद फेसबुक के साथ साथ ऐसी कंपनियां भी डाटा सुरक्षा के प्रति उत्तरदायी होंगी. कोर्ट के फैसले में साफ कहा गया है कि लाइक बटन दबाते ही जो डाटा जमा किया जाएगा, उसके बारे में यूजर्स को पहले ही जानकारी देनी अनिवार्य होगी. लाइक बटन के साथ यूजर की अनुमति लेने वाला विकल्प देना जरूरी होगा. फैसले के मुताबिक यूजर्स के डाटा के साथ छेड़छाड़ करने पर फेसबुक के साथ साथ दूसरी कंपनियां भी जिम्मेदार होंगी.

इस फैसले के साथ ही यूरोपीय संघ जनरल डाटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन के अगले चरण में जा रहा है. 2018 के कैम्ब्रिज एनेलिटिका कांड के बाद यूरोप डाटा सुरक्षा को लेकर काफी गंभीर हुआ है.

यूरोपीय अदालत में इस मामले को जर्मनी में ग्राहकों की सुरक्षा से जुड़ा उपभोक्ता संगठन फरब्राउखरसेंट्राले लेकर गया. फरब्राउखरसेंट्राले ने बिजनेस फैशन ब्रांड आईडी की शिकायत की. आईडी ने यूजर्स को जानकारी दिए बिना उनका डाटा फेसबुक को भेजा. संघ ने अपनी दलील में कहा, "कोई भी अगर इंटरनेट पर घूमने की जगह देखता है, कंसर्ट का टिकट या कपड़े खोजता है तो वह यह नहीं जानता है कि उसकी गतिविधियां ऑटोमैटिक तरीके से फेसबुक पढ़ रहा है." जर्मन कोर्ट ने इस मामले को यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस में भेजा था.

ऐसा नहीं है कि जो लोग फेसबुक पर हैं उन्हीं का डाटा चुराया जा रहा है. इंटरनेट पर कुछ भी करने वाले हर इंसान का डाटा जमा किया जा रहा है. सोशल मीडिया अकाउंट न भी हो तो भी आईपी एड्रेस और ब्राउजिंग हिस्ट्री जैसा डाटा जुटाया जा रहा है.

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रिपोर्ट: जोशुआ श्टाइन/ओएसजे