डुइसबुर्ग का पोर्ट हुआ 300 साल का
जब 1716 में पश्चिमी जर्मन शहर रुअरऑर्ट के पार्षदों ने राइन नदी पर पोर्ट बनाने का फैसला किया तो यह छोटा सा कारोबारी फैसला था, लेकिन था बहुत ही दूरगामी महत्व का. आज डुइसपोर्ट अंतरराष्ट्रीय कारोबार का केंद्र बन गया है.
अंतरराष्ट्रीय महत्व
शुरुआत छोटे से दफ्तर से हुई थी जहां राइन नदी पर माल की लदाई होती थी. आज डुइसबुर्ग का पोर्ट जर्मनी का सबसे बड़ा अंतर्देशीय बंदरगाह है जहां हर साल 13 करोड़ टन कारगो की लदाई होती है. डुइसपोर्ट आज दुनिया के 40 सबसे व्यस्त हार्बर में शामिल है. इनमें समुद्री हार्बर भी शामिल हैं.
बार बार विस्तार
पिछले 300 सालों में पोर्ट लगातार बड़ा होता गया है और वह रुअरऑर्ट से फैलकर डुइसबुर्ग पहुंच गया. बाद में रुअरऑर्ट को डुइसबुर्ग में शामिल कर दिया गया और उसका नाम भी बदल दिया गया. और उसका विस्तार जारी है. एक बंद पड़ी पेपर फैक्टरी की 99 एकड़ जमीन पर लॉजिस्टिक कंपनियां अपना दफ्तर खोल रही हैं.
पुराने दिन
1920 की इस तस्वीर जैसी पुराने दिनों की तस्वीरें दिखाती हैं कि इस पोर्ट से उन दिनों मुख्य रूप से लौह अयस्क, कोयले और निर्माण सामग्री का कारोबार होता था. जर्मनी के रुअर घाटी के औद्योगिक केंद्र में स्थित यह पोर्ट स्थानीय उद्योगों और जर्मनी के औद्योगिक विकास के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था.
राख से निकला नया पोर्ट
1930 के दशक में कारोबार चरम पर था लेकिन द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू हुआ तो सारा कारोबार ठप हो गया. हवाई बमबारी में डॉकयार्ड और वेयरहाउस नष्ट हो गए. युद्ध खत्म होने के बाद पोर्ट फिर से बनाया गया और 1950 के दशक में जर्मन आर्थिक चमत्कार ने पोर्ट को भी फायदा पहुंचाया. लेकिन स्टील और कोयला उद्योग के पतन ने अंतर्देशीय नौवहन को भी प्रभावित किया.
विकास का इंजन
बदलते समय के साथ डुइसपोर्ट के अधिकारियों ने वैश्विक कारोबार पर ध्यान देना शुरू किया और कंपनी को मझौले आकार की कंपनी बना दिया जिसका सालाना कारोबार 21 करोड़ यूरो का है. डुइसबुर्ग शहर के लिए यह पोर्ट अत्यंत फायदे का है. यहां शहर के 1000 से ज्यादा लोग काम करते हैं और शहर को अच्छा खासा टैक्स मिलता है.
अजीब दास्तां
कोयला इस पोर्ट से ट्रांसपोर्ट होने वाला मुख्य माल बना हुआ है. पहले इलाके से निकाला जाने वाला कोयला दूसरे शहरों को भेजा जाता था, अब ऑस्ट्रेलिया और चीन का कोयला यहां लाया जाता है. डुइसबुरग की आखिरी कोयले की खदान कुछ साल पहले बंद हो गई, लेकिन खिसेनक्रुप और आर्सेलोरमित्तल स्टील कंपनियां अभी भी चल रही हैं.
धातु के कचरे से हाइटेक
इस समय पोर्ट के साथ 45,000 रोजगार जुड़े हैं. पोर्ट के 21 डॉक और 8 कंटेनर टर्मिनलों से हर साल 34 लाख कंटेनर सामान भेजा जाता है. बढ़ते अंतरराष्ट्रीय कारोबार का डुइसबुर्ग को फायदा पहुंचा है. इस आधुनिक पोर्ट से आज हर तरह का सामाना लाया और ले जाया जा सकता है. इलेक्ट्रॉनिक कचरे से लेकर एशियाई देशों में बने हाइटेक सामानों तक.
रुअरऑर्ट का परिवार
रुअरऑर्ट में हानिएल ग्रुप का मुख्यालय है. यह जगह इस परिवार के साथ निकट रूप से जुड़ी है. हानिएल परिवार ने कोयले और स्टील से धन कमाया लेकिन अब कारोबार फैसला लिया है. जिन कंपनियों में हानिएल परिवार के शेयर हैं उनमें अंतरराष्ट्रीय तौर पर सक्रिय होलसेल स्टोर मेट्रो भी शामिल है. इस परिवार ने रुअरऑर्ट पर सबसे ज्यादा असर छोड़ा है.
सैलानियों का आकर्षण
डुइसबुर्ग का पोर्ट देश दुनिया के पर्यटकों में भी लोकप्रिय है. वे डॉकयार्ड में प्रसिद्ध बोट ट्रिप के लिए यहां आते हैं. शिपिंग एक्सचेंज से शुरू होकर यह बोट ट्रिप डॉकयार्ड होते हुए 25 किलोमीटर का सफर तय करती है. रास्ते में पुराने और नए औद्योगिक आर्किटेक्चर का मजा लिया जा सकता है.
ऐतिहासिक टॉवर
फ्रीडरिष एबर्ट पुल पर स्थित जुड़वां टॉवर रुअरऑर्ट और उसके पोर्ट का लंबे समय तक प्रतीक रहे हैं. यह पुल रुअरऑर्ट को डुइसबु्र्ग के दूसरे इलाके होमबर्ग के साथ जोड़ता है. 1907 में बने दोनों टॉवर सौ साल से ज्यादा से जहाजों का डुइसबुर्ग पोर्ट में स्वागत करते रहे हैं. यहां हार्बर मास्टर के रहने की भी जगह है.
लंदन से समानता
डुइसबुर्ग के केंद्र में स्थिर भीतरी हार्बर 1994 तक बंद पड़ा था. ब्रिटिश आर्किटेक्ट मटर्मन फोस्टर और दूसरे शहरी प्लानरों ने इस जगह को लंदन के डॉकलैंड्स की तर्ज पर विकसित किया. अब डुइसबुर्ग का भीतरी हार्बर ट्रेंडी डाउनटाउन इलाका है जहां बेहतरीन रेस्तरां, कारोबारियों के दफ्तर और शॉपिंग मॉल्स हैं.