तुर्की में 2017 भी 'दहशत का साल रहेगा'
३ जनवरी २०१७तुर्की में होने वाले हमलों को सीरिया और इराक में उसकी नीतियों से जोड़ कर देखा जा रहा है. इसके अलावा, पिछले साल जुलाई में नाकाम तख्तापलट के बाद तुर्की की सरकार ने सीरिया से लगने वाले अपने सरहदी इलाकों में सैन्य अभियान छेड़ा हुआ है ताकि वहां से काम करने वाले इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों का सफाया किया जा सके. तुर्की ने देश के दक्षिण पूर्वी हिस्से और उत्तरी इराक में सक्रिय कुर्द चरमपंथियों के खिलाफ भी कार्रवाई तेज की है.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस्लामिक स्टेट और कुर्दिश वर्कर्स पार्टी (पीकेके) तुर्की के लिए गंभीर खतरा हैं. टर्किश सेंटर फॉर इंटरनेशनल रिलेशंस एंड स्ट्रैटजिक एनालिसिस में सुरक्षा और आंतकवाद मामलों के विशेषज्ञ इब्राहिम चेविक कहते हैं, "सीरिया को लेकर अमेरिका और रूस के बीच बहुत खींचतान चल रही है. इस खींचतान ने तनाव को उसी स्तर पर पहुंचा दिया है जैसा शीत युद्ध के जमाने में हुआ करता था. सीरिया में किसी का कंट्रोल नहीं है इसलिए बंदूकों पर भी कंट्रोल खत्म हो जाता है. हमें उसका सीधा नुकसान उठाना पड़ेगा."
सुरक्षा और पीकेके से जुड़े विषयों पर विशेषज्ञता रखने वाले निहात अली ओजकान भी मानते हैं कि 2017 तुर्की के लिए अच्छा साल नहीं रहेगा. उनके मुताबिक, "पूरे क्षेत्र में, और खास तौर से सीरिया और इराक में हालात तेजी से बदल रहे हैं और इसकी अपनी वजहें हैं. दूसरा, तुर्की में भी बहुत से आतंकवादी गुट सक्रिय हैं. वे कभी एक दूसरे को निशाना बनाते हैं तो कभी जनता को और कभी देश को." इन गुटों में वह पीकेके और आईएस के अलावा प्रतिबंधित धुर दक्षिणपंथी रेवोल्यूशनरी पीपुल्स लिबरेशन पार्टी-फ्रंट का नाम गिनाते हैं. अमेरिका, यूरोपीय संघ और तुर्की ने इस संगठन को आतंकवादी संगठनों की सूची में डाल रखा है.
ओजकान मानते हैं कि तुर्की में तख्लापलट की नाकाम कोशिश के बाद जिस तरह बड़े पैमाने पर धरपकड़ हुई है, उससे भी सुरक्षा के लिए खतरे पैदा हुए हैं. इसी के तहत, देश के बड़े शैक्षिक और न्यायिक संस्थानों में हजारों लोगों की छुट्टी हुई और नए लोगों को तैनात किया गया है. ओजकान कहते हैं कि सरकार राष्ट्रपति पद समेत सभी पदों का राजनीतिकरण कर रही है. उनके मुताबिक, "जब एक साथ इतनी सारी बातें हो तो निश्चित तौर पर यह साल सुरक्षा के लिहाज से बहुत समस्याओं वाला साल बन जाता है."
मानवाधिकारों पर नजर रखने वाले तुर्की समेत 47 सदस्य देशों के संगठन काउंसिल ऑफ यूरोप का कहना है कि दिसंबर 2016 तक तुर्की में सवा लाख लोगों को नौकरियों से बर्खास्त किया गया जबकि 40 हजार लोग गिरफ्तार किए गए. यह सब व्यवस्था को साफ करने के नाम पर हो रहा है.
इस्तांबुल की ओजयेगिन यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर मेसुत हक्की चासिन नए साल से पहले दिन इस्तांबुल में हुए हमले को एक खतरनाक संकेत मानते हैं. वह कहते हैं, "मुझे लगता है कि यह इस बात का संकेत है कि 2017 में भी आतंकवाद हमें परेशान करता रहेगा. मेरे ख्याल से यह एक संगठित हमला था. पहली बार तुर्की में आम लोगों के मनोरंजन की जगह को निशाना बनाया गया."