तो क्या पेगासस था मोदी और नेतन्याहू की करीबी का कारण
२९ जनवरी २०२२इससे पहले जब पेगासस की खबर सामने आई थी तब यह पता चला था कि सरकार इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल ना सिर्फ अपने विपक्षियों बल्कि सरकार के कुछ अधिकारियों, जजों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी के लिए भी कर रही है. हालांकि सरकार ने इस सॉफ्टवेयर की खरीदारी से ही साफ इनकार कर दिया था.
विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे "राजद्रोह" कहा है और सरकार की आलोचना करने के साथ ही इसकी जांच कराने की मांग की है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने अपनी आलोचना में सरकार की तरफ से संसद में दिए बयान को केंद्र में रखा है. रणदीप सुरजेवाला ने पत्रकारों से कहा है, "मोदी सरकार ने हमारे प्राथमिक लोकतांत्रिक संस्थाओं, राजनेताओं, जनता और सरकारी अधिकारियों, विपक्षी नेताओं, सेना, न्यायतंत्र की जासूसी करने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदा, सबके फोन टैप किए गए. यह राजद्रोह है." कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी यही बात ट्वीट कर कही है.
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की तरफ से संसद में बयान दिया गया था कि पेगासस सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ के साथ सरकार ने कोई सौदा या खरीदारी नहीं की है. इधर न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट साफ तौर पर इस खरीदारी का दावा कर रही है. भारत में कई लोगों के फोन टैप और हैक किए जाने की खबरें पहले ही आ चुकी है. विपक्षी दलों की आलोचनाओं के बीच केंद्रीय मंत्री वी के सिंह ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट की आलोचना की है. उन्होंने ट्वीट कर सवाल उठाया है, "क्या हम न्यूयॉर्क टाइम्स पर भरोसा कर सकते हैं. वो तो सुपारी मीडिया के रूप में जाने जाते हैं."
पेगासस से जुड़ी खबर जब पहली बार सामने आई थी तब कंपनी ने यह कहा था कि वह दुनिया भर में केवल सरकार और सरकारी एजेंसियों को ही अपना सॉफ्टवेयर बेचती है. कंपनी ने भारत को सॉफ्टवेयर बेचा है या नहीं इसकी जानकारी नहीं दी गई. भारत की सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट
जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के बारे में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक विस्तृत खोजी रिपोर्ट छापी है जिसमें दुनिया भर में इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल का ब्यौरा दिया गया है. रिपोर्ट बताती है कि भारत की मौजूदा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने भी यह सॉफ्टवेयर खरीदा था. पेगासस दुनिया भर में जासूसी के लिए कुख्यात है ज्यादातर देश इसका आतंकवाद और अपराध को रोकने में इस्तेमाल करने की बात कहते हैं. हालांकि ऐसी जानकारियां सामने आई हैं जिनसे पता चलता है कि इसका इस्तेमाल सरकारें विरोधियों के दमन में भी करती हैं.
न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक भारत और इस्राएल के बीच करीब दो अरब अमेरिकी डॉलर का एक रक्षा खरीद समझौता हुआ था. इस सौदे के केंद्र में एक मिसाइल डिफेंस सिस्टम और पेगासस सॉफ्टवेयर था. रिपोर्ट का यह भी दावा है कि इस खरीदारी पर समझौते के बाद भारत और इस्राएल के बीच ऐतिहासिक रूप से नजदीकियां बढ़ गईं और भारत ने संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक परिषद में इस्राएल के उस प्रस्ताव का समर्थन किया जिसमें फलस्तीन के मानवाधिकार संगठन के पर्यवेक्षक के दर्जे को खत्म करने की बात थी. फलस्तीन के खिलाफ इस तरह का रुख भारत ने पहली बार अपनाया था. भारत और इस्राएल के प्रधानमंत्रियों ने एक दूसरे के देश का दौरा भी किया था जो आमतौर पर बहुत कम ही होता है. अखबार में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देशों के नेताओं के बीच यह गर्मजोशी इस पेगासस सॉफ्टवेयर के वजह से थी.
पेगासस सॉफ्टवेयर
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में ना सिर्फ भारत बल्कि अमेरिका, जर्मनी, ग्रीस, पोलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और उन तमाम देशों का जिक्र है जिन्होंने कथित रूप से यह सॉफ्टवेयर खरीदा. जर्मनी ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी के रैकेट का पता लगाने तो मेक्सिको ने ड्रग लॉर्ड अल चापो को पकड़ने के लिए यह सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया है. इस सॉफ्टवेयर की मदद से किसी भी फोन तक पहुंचा जा सकता है और एप्पल जैसे फोन का सुरक्षा तंत्र भी इसे रोक पाने में नाकाम है. सरकारें इस सॉफ्टवेयर को अपने विरोधियों के खिलाफ भी कथित तौर पर इस्तेमाल करती हैं और इसी वजह से यह सॉफ्टवेयर दुनिया भर में कुख्यात है. पेगासस बनाने वाली कंपनी एनएसओ जासूसी वाली सॉफ्टवेयर बनाने के लिए पहले से ही जानी जाती है.