दर्द नियंत्रित करने वाले जीन की पहचान
१० सितम्बर २०११ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने उस जीन की पहचान कर ली है जो पुराने दर्द को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार हैं. इस जीन का नाम एचसीएन 2 है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस जीन की पहचान से दवा में शोध करने वाले वैज्ञानिकों को ज्यादा प्रभावी पेन किलर बनाने में मदद मिलेगी. कैंब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर ऐसी दवाई बनाने में कामयाबी मिल जाती है जिससे इस खास जीन से पैदा होने वाले प्रोटीन को रोका जा सके तो न्यूरोपैथिक दर्द से निपटने में कामयाबी मिल सकती है. यह दर्द तंत्रिकाओं की क्षति से जुड़ा हुआ है. फिलहाल जो दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं उससे इस दर्द को काबू कर पाना मुश्किल है.
कैंब्रिज विश्वविद्याल के औषधि विज्ञान विभाग के पीटर मैक्नॉटन कहते हैं, "न्यूरोपैथिक दर्द से परेशान लोगों को बहुत कम या फिर नहीं के बराबर राहत मिल पाती हैं. क्योंकि प्रभावी दवाओं की कमी है. हमारा शोध पुराने दर्द को रोकने वाली दवाओं के निर्माण के लिए जमीन तैयार करता है." दुनिया भर में दर्द एक लोगों के स्वास्थ्य पर एक बड़ा बोझ है. यूरोप में करीब न्यूरोपैथिक दर्द के इलाज पर 281 अरब अमेरिकी डॉलर का खर्च आता है. जबकि अमेरिका में इस दर्द पर होने वाला खर्च 150 अरब डॉलर सालाना है. अध्ययन से पता चला है कि पुराने दर्द की बीमारी से 22 फीसदी लोग अवसाद के शिकार हुए हैं. जबकि 25 फीसदी लोगों को इस बीमारी के कारण नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. 2002/03 में हुए सर्वे के मुताबिक यूरोप में रहने वाले हर 5 नागरिकों में से एक को तेज दर्द की शिकायत रहती है. वैज्ञानिकों को एचसीएन 2 जीन के बारे में सालों पहले से जानकारी हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि दर्द को नियंत्रित करने में वह कैसी भूमिका निभा सकता है. वैज्ञानिकों का यह शोध विज्ञान पत्रिका साइंस में छपा है.
शोधकर्ताओं ने दर्द संवेदी नसों से एचसीएन 2 जीन को हटाया और बिजली की उत्तेजना का इस्तेमाल किया यह जानने के लिए कि नसें किस तरह से बदल गईं है एचसीएन 2 के हटाए जाने से. इसके बाद वैज्ञानिकों ने आनुवंशिक रूप से संशोधित चूहों को जिनमें से एचसीएन 2 जीन को हटाया जा चुका था बिजली के जरिए उत्तेजना दिए गए जिसके बाद वैज्ञानिकों को यह पता चल पाया कि एचसीएन 2 के हटाए जाने से न्यूरोपैथिक दर्द भी खत्म हो जाते हैं.
रिपोर्ट:एजेंसियां / आमिर अंसारी
संपादन: एन रंजन