दिल नहीं आंतों के जरिये बहता है इन मकड़ियों का खून
११ जुलाई २०१७'करंट बायलॉजी' जर्नल में शोधकर्ताओं ने कहा कि ''समुद्री मकड़ियों की आतें इनके लंबे और पतले पैरों वाली शरीर में फैली हुई हैं.'' मोंटाना विश्वविद्यालय, मिसौला के मुख्य लेखक एच आर्थर वुड्स ने कहा, "इंसानों के विपरीत समुद्री मकड़ी की आंते कई शाखाओं में बंटी होती हैं और वे अलग अलग ट्यूब की तरह हर पैर के आखिरी तक पहुंचती हैं."
अंटार्कटिका में काम करते हुए वुड्स को विशाल समुद्री मकड़ियां आकर्षक लगीं. वुड्स ने कहा कि उन्होंने "बहुत सारा वक्त समुद्री मकड़ी की आतों और रक्त प्रवाह को देखने में बिताया."
उन्होंने ध्यान दिया कि समुद्री मकड़ी का दिल बहुत धीमे धड़क रहा था और शरीर के केवल मध्य भाग तक रक्त पहुंचा रहा था.
लेकिन उनकी आतों ने संकुचन की मजबूत और संगठित गति को दिखाया. इस प्रक्रिया को क्रमाकुंचन कहते हैं. यह मानव शरीर की मांसपेशियों में भी अनैच्छिक कसाव और शिथिलता के वक्त होती है.
मानव शरीर में इसका उद्देश्य पाचन में सहायता करना, पेट में सामग्री को मिलाना और आंतों के माध्यम से उन्हें स्थानांतरित करना होता है.
समुद्री मकड़ियों में क्रमांकुचन गति पाचन करने से ज्यादा मजबूत होती है क्योंकि उन्हें शरीर में ऑक्सीजन भी पहुंचाना होता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि "इस निष्कर्ष में सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए व्यापक विकास की विविधता पर प्रकाश डाला गया है." भविष्य में जीवाश्म की खोज वैज्ञानिकों को इस अजीब जीवन रक्षा रणनीति के मूल को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकती है.
एसएस/एमजे (एएफपी)