दुनिया में विस्थापित लोगों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर
२६ अक्टूबर २०२३साल 2023 की पहली छमाही में विस्थापितों की संख्या बढ़ने के पीछे यूक्रेन, सूडान, म्यांमार और डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो के संघर्ष के साथ ही अफगानिस्तान में लंबे समय से चला आ रहा मानवीय संकट है. इसके साथ ही सूखा, बाढ़ और सोमालिया में असुरक्षा जैसे कारकों ने विस्थापितों की संख्या बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है.
विस्थापितों की संख्या का रिकॉर्ड
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर ने एक बयान जारी कर यह बात कही है. एजेंसी के मुताबिक, "दुनिया भर में युद्ध, दमन, हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघनों के कारण विस्थापितों की संख्या सितंबर के आखिर में ही करीब 11.4 करोड़ के पार चली गई है. दुनिया का ध्यान अब गाजा के मानवीय संकट पर है जो उचित भी है. हालांकि वैश्विक रूप से कई चगहों पर संघर्ष बढ़ रहा है फैल रहा और निर्दोष लोगों की जिंदगियां छीन रहा है उन्हें उजाड़ रहा है."
जर्मनी में अनियमित आप्रवासियों की संख्या रिकॉर्ड बनाने की ओर
संयुक्त राष्ट्र के शरणार्थी मामलों के प्रमुख फिलिप्पो ग्रांडी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर संघर्षों के समाधान और उन्हें रोक पाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है. उन्होंने हिंसा खत्म करने और विस्थापित लोगों को उनके घरों तक लौटाने में बेहतर सहयोग के लिए अनुरोध किया है.
दुनिया भर में विस्थापित लोगों की संख्या पिछले साल के 10.84 करोड़ से बढ़ कर 11.0 करोड़ तक इस साल के जून महीने के आखिर में ही पहुंच गई थी. यूएनएचसीआर के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में 11.4 करोड़ के आंकड़े की पुष्टि की है. एजेंसी ने 1975 में विस्थापितों की संख्या दर्ज करनी शुरू की थी और यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है.
मध्यपूर्व की लड़ाई से पहले के आंकड़े
यह आंकड़े हमास और इस्राएल की लड़ाई शुरू होने से पहले के हैं. हमास के लड़ाके इस्राएल में 7 अक्टूबर को घुसे थे. हमास के हमले में 1400 इस्राएली लोगों की जान गई जिनमें ज्यादातर आम लोग थे. इस्राएली अधिकारियों के मुताबिक उन्होंने करीब 220 लोगों को बंधक भी बना लिया. गाजा में हमास प्रशासन के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक इस्राएल के जवाबी हमलों में अब तक 6,500 लोगों की जान गई है. संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता एजेंसी ओसीएचए के मुताबिक गाजा में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या करीब 14 लाख है.
शरण देने के कानून पर यूरोपीय संघ में डील
यूएनएचसीआर का कहना है कि दुनिया भर में हर 73 में से एक आदमी जबरन विस्थापित किया गया है. साल 2023 के मध्य तक करीब 3.58 करोड़ लोग अपना देश छोड़ कर भागने पर मजबूर हुए थे. इनके अलावा आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या 5.7 करोड़ थी. इसके साथ ही करोड़ों लोग ऐसे भी हैं जिन्हें शरण या फिर अंतरराष्ट्रीय संरक्षण की जरूरत है.
कहां से आए शरणार्थी और कहां गए
कुल शरणार्थियों में करीब एक तिहाई संख्या सिर्फ तीन देशों के नागरिकों की है. ये देश हैं अफगानिस्तान, सीरिया और यूक्रेन. कम और मध्यम आय वाले देशों ने करीब 75 फीसदी शरणार्थियो और अंतरराष्ट्रीय संरक्षण की जरूरत वाले दूसरे लोगों को पनाह दे रखी है. सबसे अधिक शरणार्थियों को जगह देने वाले देश ईरान और तुर्की हैं. इन दोनों देशों में करीब 34-34 लाख
रह रहे हैं. इसी तरह जर्मनी और कोलंबिया में से प्रत्येक ने 15 लाख शरणार्थियों को अपने यहां रखा है. इसके बाद पाकिस्तान की बारी है जहां 21 लाख शरणार्थी हैं.
जर्मनीः रिफ्यूजी वेलकम से रिफ्यूजी प्रॉब्लम तक
सीरिया की करीब आधी आबादी 2023 के मध्य तक विस्थापित के रूप में ही रही. इनमें से 67 लाख लोग देश में विस्थापित हैं जबकि इतने ही लोग शरणार्थी या शरण मांगने वालों में हैं. इनमें से सबसे ज्यादा लोग तुर्की में रह रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनवरी से जून 2023 के बीच 16 लाख लोगों ने शरण पाने के लिए अर्जी डाली. यह किसी साल की छमाही में डाली गई अर्जियों की सबसे बड़ी संख्या है. इनमें से 540,600 अर्जियां अमेरिका में, 150,200 जर्मनी और 87,100 अर्जियां स्पेन में डाली गईं.
ग्रांडी का कहना है, "जिस तरह की घटनाओं को हम गाजा, सूडान और दूसरी जगह देख रहे हैं, उनमें शांति की संभावना और शरणार्थियों और दूसरे विस्थापित लोगों की समस्या का समाधान बहुत दूर लग सकता है, लेकिन हम हार नहीं मान सकते. अपने सहयोगियों के साथ हम हमेशा शरमार्थियों के लिए समाधान ढूंढने का दबाव बनाते रहेंगे."
एनआर/एसबी (एएफपी)