धुर दक्षिणपंथी एएफडी की यूरोपीय संसद में क्या भूमिका होगी
१८ जून २०१९2014 के यूरोपीय संघ के चुनावों में धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी ने सात सीटें जीती थीं. लेकिन समय के साथ योर्ग मोएथेन के अलावा सभी लोगों ने पार्टी छोड़ दी. जर्मन राजनीतिक विशेषज्ञ क्लॉस लेगेवी कहते हैं कि यूरोप की सभी दक्षिणपंथी पार्टियों में एएफडी सबसे कम प्रभाव वाली और सबसे कम सम्मानीय है.
हाल में हुए यूरोपीय चुनावों से पार्टी एक नई शुरुआत करना चाह रही है. इस बार पार्टी ने 11 सीटें जीती हैं और मोएथेन उनका नेतृत्व करना चाह रहे हैं. पार्टी ने अपने अलग-अलग तबकों से यूरोपीय संसद में प्रतिनिधि भेजने की कोशिश की है. एक सांसद कामकाजी लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. एक छोटे और मध्यम उद्योगपतियों का. एक इस्लाम के आलोचक हैं और एक ईसाई धर्म उपासक, एक दक्षिणपंथी बुद्धिजीवी, पार्टी के धुर दक्षिणपंथी धड़े से एक, एक पूर्वी जर्मनी और कुछ उदारवादी भी शामिल हैं.
लेकिन क्या वे एक संयुक्त राजनीतिक इकाई के रूप में काम कर पाएंगे? आखिरकार एएफडी को अपने आंतरिक विवादों के लिए ही जाना जाता है. और अधिकांश यूरोपीय सांसदों को यूरोपीय संसद में काम करने का कोई अनुभव नहीं है.
इटली और फ्रांस में प्रभावशाली दक्षिणपंथी
एएफडी यूरोपीय संसद में बने दक्षिणपंथी पार्टियों के गठबंधन यूरोपियन अलाइंस फॉर पीपुल्स एंड नेशंस में शामिल हो गई है. इसमें इटली की लीग पार्टी के 28 सदस्य, फ्रांस की नेशनल रैली पार्टी के 22 सदस्य शामिल हैं. ये दोनों पार्टियां अपने देश में यूरोपीय चुनावों में सबसे मजबूत पार्टी बनकर उभरी हैं.
इस गठबंधन में एएफडी का प्रभाव सीमित ही रहने के आसार हैं क्योंकि सांसदों की संख्या कम है. लेगेवी के मुताबिक यूरोपीय संसद में जर्मनी के प्रभाव का विरोध दूसरे देश भी करते हैं. यह भी एएफडी के प्रभाव को कम कर सकता है. एएफडी के 88 पन्नों के चुनाव घोषणापत्र से पता चलता है कि उसके कामकाज का तरीका यूरोप की दूसरी दक्षिणपंथी पार्टियों से अलग है. इनमें से अधिकतर मतभेद नीतिगत मुद्दों पर हैं. यह मतभेद पार्टी के अंदर भी हैं.
दक्षिणपंथी गठबंधन की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान फिंस पार्टी के यूसी हाला अहो ने कहा कि यूरो को एक मुद्रा नहीं मानना चाहिए. जबकि ऑस्ट्रिया की फ्रीडम पार्टी के हराल्ड विलिम्स्की का कहना है कि यूरो समृद्धि के लिए जरूरी है. इस गठबंधन में ईयू के आर्थिक कोष को लेकर भी असमंजस की स्थिति है.
प्रवासियों के प्रति विरोध
लेगेवी के मुताबिक जर्मनी के हित दूसरे देशों यानी फ्रांस, स्पेन, पॉलैंड और इटली से अलग हैं. ऐसे में अलग-अलग देशों के इन दलों के बीच गठबंधन बने रहना मुश्किल लगता है. अब तक इस गठबंधन ने बस उन्हीं मुद्दों पर ध्यान दिया है जिनका वे विरोध कर रहे हैं. इसमें अप्रवासियों का विरोध और ईयू को एक सुपर स्टेट बनाना शामिल. इस गठबंधन के बीच ये मुद्दे एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की तरह हैं जिससे यह गठबंधन एकजुट रह सकेगा.
यूरोपीय संसद के चुनावों के दौरान एएफडी के मोएथेन और इटली के लीग चैंपियन के मतेओ साल्विनी ने एक बड़े दक्षिणपंथी गठबंधन की परिकल्पना की थी जिसमें सभी पॉपुलिस्ट और यूरोप केंद्रित पार्टियां होंगी. लेकिन ऐसा हो नहीं सका और यूरोपीय संसद में दक्षिणपंथी समूहों की संख्या तीन से घटकर दो रह गई.
लेगेवी के मुताबिक यूरोपीय संसद में भेजे गए प्रतिनिधियों से ना सिर्फ एएफडी को एक बड़े मंच पर बोलने का अधिकार मिल गया बल्कि अपने आप को ज्यादा महत्वपूर्ण दिखाने का एक मौका भी मिल गया है. क्योंकि जर्मनी के अंदर इसकी स्थिति पहले ही सम्माजनक नहीं थी. एएफडी अब यूरोप की प्रमुख दक्षिणपंथी पार्टियों में शुमार है और अब उसकी निगाहें जर्मनी के अंदर राजनीतिक फायदे पर हैं.
साथ ही एएफडी अब यूरोप की दूसरी दक्षिणपंथी पार्टियों से भी सीखने की कोशिश करेगी जो यूरोप में दशकों से मौजूद हैं. एएफडी यूथ विंग के अध्यक्ष डामियान लोयर का कहना है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक दक्षिणपंथी युवा समूह बनाना चाहते हैं. हालांकि ये तो समय ही बताएगा कि ये दक्षिणपंथी गठबंधन कितने दिन टिक पाता है और अपने कितने लक्ष्यों को प्राप्त कर पाता है.
काय अलेक्जांडर शॉल्स
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