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नए सतर्कता आयुक्त पर सुप्रीम कोर्ट के सवाल

२३ नवम्बर २०१०

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने नए सतर्कता आयुक्त पर सवाल उठाकर भ्रष्टाचार के मामलों से जूझती केंद्र सरकार के माथे पर बल डाल दिए हैं. पी जे थॉमस इसी साल सितंबर में भारत के नए सतर्कता आयुक्त के रुप में नियुक्त किए गए.

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तस्वीर: cc-by-nc-sa roop1977

विपक्ष की ओर से पहले भी पीजे थॉमस पर उंगलियां उठाई जा रही थीं. अब सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसएच कपाडिया ने भी उनकी नियुक्ति पर एक याचिका के सिलसिले में टिप्पणी करते हुए केरल में नारियल तेल के आयात के घोटाले में पुलिस द्वारा उनके खिलाफ जांच की ओर ध्यान दिलाया है. जस्टिस कपाडिया ने कहा है कि सतर्कता आयुक्त के रूप में उन्हें भ्रष्टाचार के मामलों से निपटना पड़ेगा और हर मामले में उनके अतीत की ओर इशारा किया जाएगा. वे कैंसे काम करेंगे?

मुख्य न्यायाधीश का कहना है कि हर मामले में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ेगा. जस्टिस कपाडिया का कहना है " ऐसी हालत में हम जानना चाहते हैं कि कैसे वो अपने पद का दायित्व निभाएंगे " पुलिस की ओर से सन 2000 में पीजे थॉमस पर आरोप लगाया गया था कि मलेशिया से नारियल तेल के आयात में हुई धांधली में वे शरीक थे. थॉमस उन दिनों केरल में राज्य सरकार के सचिव थे. उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए.

भारत में पिछले दिनों भ्रष्टाचार के अनेक आरोप सामने आए हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप सामने आए, जिनकी जांच चल रही है. आदर्श घोटाले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री चह्वाण को इस्तीफ़ा देना पड़ा, ऐसे ही आरोप में कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की गद्दी खतरे में है. 2जी स्कैम के चलते टेलिकॉम मंत्री ए राजा को भी अपना पद छोड़ना पड़ा.

पीजे थॉमस अभी हाल तक टेलिकॉम मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी थे, और विपक्ष का आरोप है कि मंत्रालय में धांधली के मामले की जांच में वे ढिलाई बरत रहे थे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: एन रंजन

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