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पिघलती बर्फ से एम्परर पेंग्विनों  की बस्तियों को खतरा

४ अगस्त २०२१

एक नए शोध में दावा किया गया है कि अगर कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन इसी गति से चलता रहा तो 2100 तक एम्परर पेंग्विनों की 98 प्रतिशत बस्तियां नष्ट हो जाएंगी.

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तस्वीर: Raimund Linke/picture-alliance/Zoonar

ग्लोबल चेंज बायोलॉजी नामक पत्रिका में छपे नए शोध के नतीजों में दावा किया गया है कि 2050 तक ही लगभग 70 प्रतिशत बस्तियों पर खतरा मंडरा रहा होगा. अगर ऐसा ही रहा तो 2100 तक ये बस्तियां लुप्त होने की कगार तक पहुंच जाएंगी. नए शोध में वैश्विक तापमान के बढ़ने की पूरी तस्वीर और ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से तीव्र मौसमी उतार-चढ़ाव की बढ़ती संभावनाओं को देखा गया.

अध्ययन में पाया गया कि 2016 में समुद्री बर्फ के स्तर के बहुत कम हो जाने से अंटार्कटिका के हेली बे में एम्परर पेंग्विनों की एक बस्ती में प्रजनन भारी रूप से असफल रहा. वुड्स होल ओशियानोग्राफिक संस्थान में पेंग्विन इकोलोजिस्ट स्टेफनी जेनूवरीयर ने बताया कि उस साल नन्हे पेंग्विनों के पानी रोकने वाले वयस्क पंख आने से पहले ही मौसमी बर्फ टूट गई और लगभग 10,000 नन्हे पेंग्विन डूब गए. बस्ती उसके बाद इस झटके से उबर नहीं पाई.

बर्फ बेहद जरूरी

एम्परर पेंग्विन सर्दियों में केवल अंटार्टिका में ही प्रजनन करते हैं. वे कई हजार की संख्या वाले समूहों में एक साथ आ कर माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तापमान और 144 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को बर्दाश्त करते हैं. लेकिन वो पर्याप्त समुद्री बर्फ के बिना नहीं रह पाते हैं. जेनूवरीयर कहती हैं, "एम्परर पेंग्विन का जीवन चक्र स्थिर समुद्री बर्फ के होने से बंधा हुआ है. उन्हें प्रजनन, भोजन और रोएं गिराने के लिए भी उसकी जरूरत है."

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इस समय दुनिया में 6,25,000 से ले कर 6,50,000 तक एम्परर पेंग्विन हैंतस्वीर: picture-alliance/WILDLIFE/S. Muller

इन पक्षियों के समुद्री बर्फ वाली निवास स्थानों को जलवायु परिवर्तन की वजह से उत्पन्न हो रहे खतरे को देखते हुए अमेरिकी सरकार की मत्स्यपालन और वन्य जीव सेवा ने इन्हें लुप्तप्राय प्रजाति कानून के तहत संकट में आ रही प्रजातियों की सूची में डालने के प्रस्ताव की घोषणा की.

सेंटर फॉर बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी की अंतरराष्ट्रीय प्रोग्राम निदेशक सारा उलेमान कहती हैं, "इन पेंग्विनों पर जलवायु संकट का बड़ा बुरा असर पड़ा है और अमेरिकी सरकार अब जा कर इस खतरे को स्वीकार कर रही है."अमेरिकी सरकार ने इससे पहले देश के बाहर मिलने वाली प्रजातियों को इस सूची में डाला है. इनमें पोलर भालू शामिल है जो आर्कटिक प्रांतों में रहता है और जलवायु परिवर्तन और समुद्री बर्फ के कम होने का असर झेल रहा है.

मिलेगा संरक्षण

एम्परर पेंग्विन दुनिया के सबसे बड़े पेंग्विन हैं. इस समय इनकी संख्या 2,70,000 से 2,80,000 जोड़ियों या 6,25,000 से 6,50,000 पेंग्विनों तक है. उन्हें इस विशेष सूची में डालने के यह प्रस्ताव अब अमेरिका के फेडरल रजिस्टर में छापा जाएगा और 60 दिनों तक इस पर लोगों की टिप्पणियों का इंतजार किया जाएगा.

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एम्परर पेंग्विन को प्रजनन, भोजन और रोएं गिराने के लिए भी समुद्री बर्फ की जरूरत हैतस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/E. Hummel

सूची में डालने से इन पक्षियों को व्यावसायिक कारणों के लिए उनके आयात पर प्रतिबंध जैसे कई संरक्षण मिलेंगे. वन्य जीव सेवा की प्रिंसिपल डिप्टी निदेशक मार्था विलियम्स ने बताया, "जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया में कई तरह की प्रजातियों पर असर डालता है और यह चुनौती इस प्रशासन के लिए एक प्राथमिकता है. नीति निर्धारकों द्वारा आज और अगले कुछ दशकों में लिए गए फैसले एम्परर पेंग्विन के भविष्य को तय करेंगे."

सीके/एए (एपी)

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