पूर्वी हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों का बेड़ा
२० फ़रवरी २०१८चीनी न्यूज बेवसाइट Sina.com.cn के मुताबिक 11 युद्धपोतों का दस्ता हिंद महासागर में दाखिल हो चुका है. दस्ते में कम से कम एक फ्रिगेट जहाज है. एक 30,000 टन वाला एम्फिबियस ट्रांसपोर्ट डॉक है. तीन सपोर्ट टैंकर भी हैं. रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि नौसैनिक बेड़ा कहां और कितने समय के लिए तैनात किया जाएगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, "अगर आप युद्धपोतों और अन्य उपकरणों को देखेंगे तो भारतीय और चीनी नौसेना के बीच अंतर बहुत बड़ा नहीं है." युद्धपोतों की तैनाती को लेकर जब समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने चीनी रक्षा मंत्रालय से संपर्क किया तो कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई. लेकिन बीते शुक्रवार को चीन की सोशल मीडिया साइट वाइबो पर पीपुल्स लिबेरेशन आर्मी की तस्वीरें पोस्ट की गईं. तस्वीरों के साथ एक रिपोर्ट भी थी, जिसमें कहा गया कि पूर्वी हिंद महासागर में सेना रेस्क्यू ट्रेनिंग एक्सरसाइज कर रही है.
हिंद महासागर के द्वीप देश मालदीव का राजनैतिक संकट इस वक्त भारत और चीन को आपस में उलझा रहा है. मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने बीजिंग के वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट में शामिल होने के लिए दस्तखत कर चुके हैं. नई दिल्ली को यह बात परेशान करती है.
भारतीय तट से 400 किलोमीटर दूर बसे मालदीव के कई दशकों से भारत के साथ राजनैतिक और सुरक्षा संबंधी रिश्ते रहे हैं. इस वक्त देश राजनैतिक संकट से गुजर रहा है. फरवरी की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा विपक्षी नेताओं को रिहा करने के फैसले के बाद राष्ट्रपति अब्दुल यामीन ने देश में 15 दिन की इमरजेंसी लगा दी. 5 फरवरी को लगाई गई इमरजेंसी को अब वह 15 दिन और लंबा करना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत कई जज और नेता गिरफ्तार पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. मालदीव के विपक्षी नेता भारत से सीधे दखल की मांग कर रहे हैं.
भारत, ब्रिटेन, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने यामीन से लोकतांत्रिक संस्थाओं का सम्मान करने को कहा है. वहीं चीन ने दूसरे देशों को मालदीव में दखल न देखने की चेतावनी दी है.
4,00,000 की आबादी वाले मुस्लिम बहुत देश मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी है. लेकिन राजनैतिक संकट का असर टूरिज्म पर भी पड़ रहा है. चीन भी अपने नागरिकों को मालदीव न जाने की सलाह दे चुका है.
ओएसजे/एनआर (रॉयटर्स)