"प्रकृति के लिए अभिशाप का उदाहरण भर हैं प्लास्टिक स्ट्रॉ"
२८ जून २०१८सोलहाइम ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, "हमारे पास बेकार पैकेजिंग, बेमतलब के प्लास्टिक के थैले और अन्य उत्पाद बड़ी मात्रा में हैं जो महज कुछ मिनट या सेकेंड के लिए उपयोग में लाए जाते हैं और इनके बिना हम आसानी से रह सकते हैं." सोलहाइम छठी वैश्विक पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) असेंबली में भाग लेने के सिलसिले में वियतनामी के बंदरगाह शहर दा नांग में हैं. जीईएफ वैश्विक स्तर पर पर्यावरण परियोजनाओं के लिए खासकर पर्यावरणीय संकट का सामना कर रहे विकासशील देशों के लिए अनुदान प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र है.
सोलहाइम ने कहा, "निश्चित रूप से, प्लास्टिक से छुटकारा पाने के लिए कठोर नियम काम करते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें बड़े पैमाने पर इसका उपभोग करने की आदतों की पुनर्समीक्षा करने की जरूरत है." सोलहाइम ने स्पष्ट कहा कि सरकारों को मजबूत नीति की आवश्यकता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली आदतों को रोके और नए समाधान ढूंढ़ने के लिए अन्वेषकों को पुरस्कृत करे. उनके अनुसार निजी क्षेत्र को विस्तारित उत्पादक जिम्मेदारी की नीति को अपनाने की जरूरत है. दूसरे शब्दों में कहें तो यह एक तरह से अपने उत्पादों के पूर्ण जीवन चक्र की जिम्मेदारी लेना और भविष्य में होने वाले नुकसान के समाधानों के लिए अन्वेषण करना है.
प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने को लेकर भारत की प्रतिबद्धता पर उन्होंने कहा कि 2022 तक भारत ने एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों को खत्म करने का संकल्प करके बड़ी प्रतिबद्धता की है. यह एक साहसिक प्रतिबद्धता है जो दुनियाभर में अविश्वसनीय रूप से एक मजबूत संदेश का प्रसार करती है. उन्होंने कहा कि यह एक महत्वाकांक्षा नेतृत्व है, जिसकी दुनिया को अभी जरूरत है.
सोलहाइम 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण आधारित वैश्विक कार्यक्रम की मेजबानी करने के लिए भारत की राजधानी आए थे. वहां उन्होंने कहा था कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ सब कुछ संभव है, "भारत एक महान अन्वेषक है. सफलता के लिए सभी आवश्यक चीजें यहां हैं." 5 जून को ही भारत ने घोषणा की कि 2022 तक देश में प्लास्टिक की सभी एकल उपयोग वाले उत्पादों को खत्म कर दिया जाएगा.
पिछले साल लॉन्च किए गए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण के वैश्विक स्वच्छ समुद्र अभियान की सफलता पर सोलहाइम ने कहा कि पर्यावरण के प्रति जागरूकता स्पष्ट रूप से बढ़ी है, "प्लास्टिक प्रदूषण ने हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है और हम सभी अपनी खपत की आदतों के बारे में ज्यादा गंभीर रूप से सोचने लगे हैं. भारत और यूरोपीय संघ जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं बहुत ही साहसिक संकल्प ले रही हैं." उन्होंने आगे कहा, "हमें अब इस संबंध में उठाए गए कदम को देखने की जरूरत है. इसका मतलब है कि जिस तरीके से हम इस चमत्कारी उत्पाद का उपयोग करते हैं, उसमें बड़े बदलाव की दरकार है. हमें बहुत ज्यादा होशियार होने की जरूरत है. हमें नया तरीका खोजने की जरूरत है."
यह पूछे जाने पर कि क्या दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में वृद्धि हो रही है, उन्होंने इसका जवाब "हां" में दिया और कहा, "मुझे लगता है कि हम निकट भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में एक बड़ा उछाल देखेंगे और इसे जल्दी खरीदने वाले लाभ का फायदा उठाएंगे, अगर वे पेट्रोल और डीजल वाहनों के उपयोग में भी कमी लाने में कामयाब रहे."
विशाल गुलाटी (आईएएनएस)