फुटबॉल के बहाने महिला अधिकारों के लिए उठ रही है आवाज
५ जुलाई २०१९महिला फुटबॉल विश्व कप देखने के लिए रिकॉर्ड संख्या में लोग पहुंचे. यह महिला फुटबॉल के इतिहास में सबसे अच्छा साल रहा. हालांकि मैदान से बाहर फेयरनेस विवाद ने गोल से ज्यादा सुर्खियां बटोरीं. अभूतपूर्व टीवी कवरेज के साथ टूर्नामेंट रविवार को मेजबान राष्ट्र फ्रांस में समाप्त होगा. यहां मौजूदा चैंपियन अमेरिकी टीम नीदरलैंड्स के खिलाफ अपने खिताब को बचाने का प्रयास करेगी. फिर फेयरनेस पर ध्यानकेंद्रित होगा. अमेरिकी खिलाड़ी की ओर से अमेरिकी फुटबॉल महासंघ ने वेतन गैप को लेकर मुकदमा किया है. स्टार खिलाड़ी अदा हेगरबर्ग ने नॉर्वे की टीम को लैंगिक समानता का विरोध करने के लिए छोड़ दिया.
फीफा की सराय बेयरमन ने कहा, "फुटबॉल के बारे में अच्छी चीजों में से एक यह है कि वह इस प्रकार की चर्चाओं को करने के लिए एक मंच प्रदान करता है." फीफा ने खेल में महिलाओं की भूमिका बढ़ाने का वादा किया है. 2016 में फात्मा समौरा को फीफा ने अपनी पहली महिला महासचिव नियुक्त किया और 2022 तक महिलाओं के खेल में लगभग 50 करोड़ डॉलर का निवेश करने का भरोसा दिलाया है. पिछले महीने फीफा ने कहा कि उसने अफगानिस्तान फुटबॉल फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष को फुटबॉल से आजीवन प्रतिबंधित कर दिया क्योंकि उन्हें अपने पद का दुरुपयोग करने और महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण करने का दोषी पाया गया था.
फीफा ने उन दो ईरानी महिलाओं का भी समर्थन किया जो टी-शर्ट पहन कर स्टेडियम में मैच देखने आईं थीं और जिन्हें इस कारण स्टेडियम से बाहर निकाल दिया गया था. फीफा ने कहा कि उन्हें मैच से हटाना गलत था. ईरानी महिलाओं और लड़कियों को इस्लामी क्रांति के बाद से चार दशकों से अधिक समय तक देश में किसी भी पुरुष खेल प्रतियोगिता में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है. 1981 के बाद से उन्हें शीर्ष क्लबों के मैचों में शामिल होने की अनुमति नहीं है.
पिछले 30 वर्षों में खेल में लैंगिक असमानता पर शोध करने वाली शेरिल कुकी कहना है कि महिला फुटबाल की लोकप्रियता में वृद्धि ने खिलाड़ियों की लंबे समय से अटकी शिकायतों को हवा दी है. फीफा का अनुमान है कि पूरी दुनिया में एक अरब लोगों ने महिला फुटबॉल विश्व देखा. ब्रिटेन में जब अमेरिका के खिलाफ मैच खेला गया तो एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसे देखा. कुकी कहते हैं, "वेतन में समानता प्रदान करने और भेदभाव के इर्द-गिर्द सवालों पर वास्तव में बहस हो रही है और वह भी इस तरह जैसा हमने सालों से नहीं देखा था."
फीफा के अनुसार 2026 तक छह करोड़ महिलाओं और लड़कियों तक इस खेल को पहूंचाने का लक्ष्य है. पिछले एक दशक में विश्व कप में कुल 32 महिलाओं की टीमों ने हिस्सा लिया, जो कि पुरुषों की टीमों की संख्या की आधी है. महिला और पुरुष खिलाड़ी एक ही जैसे नियमों के तहत मुकाबला करते हैं लेकिन उन्हें अलग-अलग पुरस्कार राशि मिलती है. नाइजीरियाई टीम ने पिछले महीने उचित भुगतान की मांग के लिए एक विरोध प्रदर्शन किया था.
महिलाओं के विश्व कप के लिए पुरस्कार राशि इस वर्ष दोगुना होकर तीन करोड़ डॉलर हो गई. बावजूद इसके पुरुषों और महिलाओं के बीच वित्तीय अंतर अब भी काफी ज्यादा है. पिछले साल रूस में पुरुषों के विश्व कप के लिए पुरस्कार राशि लगभग 450 करोड़ डॉलर थी.
कुकी इस बारे में कहती हैं, "महिला एथलीटों में अब भेदभाव के बारे में बात करने को ले कर सुरक्षा का अहसास है, जबकि पहले वे हंगामा करना से डरती थीं." अमेरिका की महिला टीम और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप के बीच का विवाद एक वीडियो में सामने आया जब सह-कप्तान मेगन रापिनो ने कहा कि अगर उनकी टीम विश्व कप जीतती है, तो वह व्हाइट हाउस नहीं जाएगी. रापिनो समलैंगिक हैं और एलजीबीटी लोगों के अधिकारों पर ट्रंप का रुख की कड़ी आलोचना करती हैं. इसके विरोध में वह अपना राष्ट्रगान गाने से भी इंकार करती है.
कुकी कहती हैं कि रविवार के बाद महिलाओं के लिए अधिक मीडिया कवरेज के साथ गति को बनाए रखना आसान होगा. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी युनेस्को के अनुसार केवल 4% खेल मीडिया कंटेंट महिलाओं के खेल के लिए समर्पित है. इसमें 12% खेल समाचार महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं. कुकी के अनुसार, "पुरुषों का खेल उस हवा जैसा है जिसमें हम सांस लेते हैं. अगर हमारे समाज में महिलाओं के खेल का कद समान होता, तो यह स्त्रीत्व और पुरुषत्व के आसपास के पारंपरिक विचारों को चुनौती देने के मामले में एक लंबा रास्ता तय करता. यह महत्वपूर्ण संदेश देता कि महिलाएं मजबूत, एथलेटिक, प्रतिस्पर्धी, आक्रामक हैं और हमारे समाज में एक महिला होने का क्या मतलब है. इस बारे में हमारी धारणा का विस्तार करना एक अच्छी बात है."
आरआर/आईबी (डीपीए)
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