बदायूं मामले में पुलिस की भूमिका पर उठ रहे हैं सवाल
८ जनवरी २०२१उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में आंगनवाड़ी महिला कार्यकर्ता के साथ कथित गैंगरेप और हत्या के मामले में मुख्य अभियुक्त और मंदिर के पुजारी को गुरुवार देर रात गिरफ्तार कर लिया गया. पुजारी के दो अन्य साथी पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. लेकिन इस घटना ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है.
रविवार को बदायूं जिले के उघैती थाना क्षेत्र के मेवली गांव में मंदिर गई 50 वर्षीय एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. महिला के परिजनों ने मंदिर के पुजारी सत्यनारायण और उनके दो साथियों पर बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया है. बाद में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया. लापरवारी बरतने के कारण उघैती थाने के थानाध्यक्ष राघवेंद्र सिंह को पहले ही निलंबित किया जा चुका है. लेकिन अभी भी कई सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब न तो पुलिस को मिल पा रहा है और न ही परिजनों को.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर बरेली जोन के अपर पुलिस महानिदेशक से रिपोर्ट तलब की है. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि जरूरत पड़ने पर मामले की जांच में विशेष कार्य बल यानी एसटीएफ की मदद ली जाए, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और मामले की सुनवाई त्वरित अदालत में की जाए.
शिकायत को पुलिस ने कोई तवज्जो नहीं दी
महिला के परिजनों के मुताबिक, मंदिर के पुजारी सत्यनारायण रविवार रात करीब बारह बजे उनके घर पर आए और लहूलुहान अवस्था में महिला को छोड़ गए. महिला के 19 वर्षीय बेटे के मुताबिक, "मां शाम पांच बजे मंदिर गई थी और बोली थी कि देर हो जाएगी तो नानी के यहां रह जाऊंगी. लेकिन रात में बाबा जी के साथ दो लोग आए और बोले कि ये कुंए में गिर गई थीं. इतना कहकर तुरंत चले गए. हम लोगों ने देखा तो मां मर चुकी थीं."
तेज बारिश और रात ज्यादा होने के कारण परिजन पुलिस को सूचना नहीं दे सके. अगले दिन वो उघैती थाने पर पहुंचे लेकिन उनकी शिकायत को पुलिस ने कोई तवज्जो नहीं दी. महिला के बेटे के मुताबिक, "जब हमने डायल 112 पर फोन किया तब पुलिस आई. उसके बाद बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया. अगले दिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद एफआईआर लिखी गई.”
हालांकि पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिजनों की ओर से जब शिकायत की गई तो एफआईआर तुरंत दर्ज की गई. बदायूं के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा कहते हैं कि कुछ लापरवाही जरूर हुई और इसी वजह से उघैती थाने के थानाध्यक्ष को निलंबित भी किया गया है.
दरअसल, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद महिला के साथ हुई हैवानियत की बात सामने आई जिससे पुलिस भी सकते में आ गई. बदायूं के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर यशपाल ने पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट के बारे में मीडिया को जानकारी दी, "जिस तरह से जख्म मिले हैं शरीर पर उससे प्रथमद्रष्ट्या पता चलता है कि महिला के साथ रेप हुआ और बेहद जघन्य तरीके से उसकी हत्या हुई की गई है. यही नहीं, एक पैर भी टूटा हुआ था.”
मामले को ले कर राजनीति काफी गर्म
वहीं गिरफ्तारी के बाद मुख्य अभियुक्त पुजारी ने पुलिस को बताया कि बारिश के चलते महिला मंदिर परिसर में स्थित कुंए में गिर गई थी. महिला को कुंए से निकालने के लिए पुजारी ने गांव के ही दो लोगों को फोन करके बुलाया और फिर उन्हीं की मदद से महिला को घर भी पहुंचाया. इन लोगों के साथ जसपाल नाम के ड्राइवर को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
जसपाल का कहना था कि महिला को कुंए से निकालने के बाद करीब बीस किलोमीटर दूर चंदौसी में एक प्राइवेट अस्पताल में ले गए लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए भर्ती करने से मना कर दिया. ऐसा बताया जा रहा है कि यदि अस्पताल में समय से इलाज मिल गया होता तो शायद महिला की जान बच गई होती.
महिला का मायका इसी मेवली गांव में है जहां के मंदिर में महिला की मौत हुई है जबकि उनका घर यानी ससुराल यहां से करीब दस किलोमीटर दूर क्यावली गांव में है. महिला की मां मेवली गांव में ही अकेले रहती हैं. वह कहती हैं कि पुजारी ने इतनी पास होने के बावजूद उन्हें क्यों नहीं बताया, दस किलोमीटर दूर उसके घर लेकर क्यों गया. मां राममूर्ति देवी का आरोप है कि पुजारी सत्यनारायण ही महिला के साथ हुई घटना के लिए दोषी हैं और उन्हें सजा मिलनी चाहिए.
वहीं इस मामले को लेकर राजनीति भी काफी गर्म हो गई है. पिछले दो दिनों से बदायूं के मेवली और क्यावली गांवों में राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं का तांता लगा हुआ है. समाजवादी पार्टी के बदायूं से पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव और मौजूदा सांसद संघप्रिया मौर्य के अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी ने भी दौरा किया. घटना को लेकर योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल भी उठ रहे हैं.
इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. परिजनों का कहना है कि थानेदार ने उनकी कोई बात नहीं सुनी और पोस्टमॉर्टम होने तक मौके का मुआयना तक नहीं किया. इसकी वजह से मुख्य अभियुक्त मंदिर का पुजारी दो दिन तक गांव में ही रहा और बाद में फरार हो गया. यही नहीं, पुजारी सत्यनारायण चार दिन तक गांव में ही छिपा रहा और जिले भर की पुलिस गांव में ही रहने के बावजूद उसे तलाश तक नहीं कर पाई.
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