बांग्लादेश द्वारा रोहिंग्याओं को बसाने के लिए तैयार किए गए द्वीप की एक झलक
बांग्लादेश ने 27.2 करोड़ डॉलर खर्च किया है ताकि रोहिंग्याओं के लिए भासन चार द्वीप को रहने लायक बनाया जा सके. हालांकि कॉक्स बाजार में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थी चक्रवात की आशंका के कारण इस द्वीप पर नहीं जाना चाहते हैं.
मुख्य जमीन से काफी दूर
भासन चार द्वीप को बांग्ला भाषा में 'तैरता हुआ द्वीप' कहते हैं. बंगाल की खाड़ी में इस द्वीप का निर्माण हुए 20 साल से भी कम समय हुआ है. यह बांग्लादेश की मुख्य भूमि से करीब 30 किलोमीटर दूर है. बांग्लादेश की सरकार ने कॉक्स बाजार में रह रहे करीब एक लाख रोहिंग्याओं को यहां बसाने की योजना बनाई है.
आने-जाने में परेशानी
द्वीप पर आम लोगों के आने जाने के लिए परिवहन का कोई उचित साधन नहीं है. कुछ लोगों ने डीडब्ल्यू को बताया कि मानसून के मौसम में समुद्र के रास्ते यहां तक पहुंचना काफी मुश्किल हो जाता है.
तटबंध द्वारा सुरक्षा?
सरकार ने समुद्री लहरों और बाढ़ से द्वीप को बचाने के लिए 13 किलोमीटर लंबा और 3 मीटर ऊंचा तटबंध बनाया है. द्वीप पर रहने वाले दुकानदारों के मुताबिक समुद्र में आने वाली ऊंची लहरों की वजह से महीने में दो बार तटबंध का 3 से 4 फीट हिस्सा पानी में डूब जाता है.
एक समान दिखने वाले मकान
सरकार ने यहां 1,440 एक तल्ला वाले मकान बनाए हैं. प्रत्येक मकान में 16 कमरे हैं. एक परिवार के कम से कम चार लोगों को एक कमरे में रहना होगा. चक्रवात के दौरान बचाव के लिए चार तल्ले वाले 120 मकान बनाए गए हैं.
सौर ऊर्जा का इस्तेमाल
ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए भासन चार के सभी घरों के ऊपर सोलर पैनल लगाए गए हैं. साथ ही विद्युत के लिए एक बड़ा सोलर फिल्ड बनाया गया है और दो डीजल जेनेरेटर लगाए गए हैं. पीने के पानी के लिए ट्यूब वेल के साथ बारिश के पानी को जमा करने का उपाय किया गया है.
कटाव से बचाव के उपाय
अस्थिर प्रकृति की वजह से इस द्वीप को 'तैरता हुआ द्वीप' कहा जाता है. उपग्रह से मिली तस्वीरों से वर्ष 2002 में इस द्वीप का पता चला. बांग्लादेशी अधिकारियों ने द्वीप को कटाव से रोकने के लिए सीमेंट, पत्थर और बालू से भरी बोरियों को व्यवस्थित तरीके से किनारे पर रखा है.
क्या यह निर्जन द्वीप है?
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि द्वीप अभी निर्जन है. जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञ ऐनुन निशात का मानना है कि अगर तटबंध 6.5 से 7 मीटर तक ऊंचा हो जाए तो लोग यहां रह सकते हैं. हालांकि उन्हें लगता है कि यहां खेती करना अभी संभव नहीं है.
चक्रवात और डूबने के भय से रोहिंग्या चिंतित
रोहिंग्या शरणार्थी कहते हैं कि यदि उन्हे जबरन इस द्वीप पर भेजा जाता है तो वे चक्रवात की वजह से मर सकते हैं. वे कहते हैं कि उनके बच्चे समुद्र में डूब सकते हैं.
क्या यहां रहने जाएंगे रोहिंग्या?
द्वीप रहने के लिए लगभग तैयार हो गया है. सरकार का अब उन्हें वहां भेजने का फैसला लेना है. कई सूत्र बताते हैं कि नवंबर महीने में यह फैसला लिया जा सकता है. बांग्लादेश की सरकार ने यह संकेत दे दिया है कि यदि कॉक्स बाजार स्थित शरणार्थी शिविर से कोई नहीं जाना चाहेगा तो उसे जबरन भेजा जाएगा. (रिपोर्टः अराफातुल इस्लाम, नाओमी कोनराड)