बांग्लादेश में शेख हसीना को प्रचंड बहुमत
३१ दिसम्बर २०१८बांग्लादेश के चुनाव आयोग ने 31 दिसंबर की सुबह प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग की जीत का एलान किया. आवामी लीग और उसकी गठबंधन पार्टियों ने 300 में से 288 सीटें जीतीं.
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) और उसके गठबंधन को सिर्फ छह सीटें मिलीं. नतीजों का एलान करते हुए चुनाव आयोग सचिवालय के सचिव उद्दीन अहमद ने कहा, "आवामी लीग को मेरी शुभकामनाएं." शनिवार को एक सीट पर मतदान नहीं हुआ, जबकि एक और सीट की मतगणना के नतीजे चुनाव आयोग ने रोक दिए.
भारत की करीबी मानी जाने वाली शेख हसीना की पार्टी की जीत पहले से तय मानी जा रही थी. लेकिन चुनाव में काफी हिंसा हुई और धांधली के आरोप भी लगे. अलग अलग पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प में 16 लोग मारे गए.
हसीना कुल मिलाकर चौथी बार और लगातार तीसरी बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनेंगी. उनके सामने देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बकरार रखने की चुनौती होगी. 2017 में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पड़ोसी देश भारत से भी तेज गति से बढ़ी.
म्यामांर से भागकर कर आए लाखों रोहिंग्या मुसलमानों को शरण देने के लिए भी हसीना की तारीफ होती है. लेकिन प्रधानमंत्री पर मीडिया और विरोधियों पर निशाना साधने के आरोप भी लगते रहे हैं.
विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि सरकार ने चुनाव से पहले ही उनके सैकड़ों कार्यकर्ताओं को गलत आरोपों के तहत गिरफ्तार किया. सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर डराने और विपक्षी पार्टियों के समर्थकों के साथ हिंसा करने के आरोप भी लगाए गए हैं. मतदान के दिन तक हुई हिंसा में एक दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए.
विपक्षी गठबंधन के नेता कमाल होसेन ने कहा, "हम हास्यास्पद चुनावों को खारिज करते हैं और हम चुनाव आयोग से तटस्थ प्रशासन के तहत नए चुनाव कराने की मांग करते हैं. पहले भी बुरे ढंग से चुनाव हुए हैं, लेकिन यह चुनाव खास तौर पर बहुत ही बुरा रहा. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी न्यूनतम कार्यप्रणाली भी गायब थी."
चुनाव आयोग के मुताबिक धांधली के आरोपों की जांच की जा रही है. बांग्लादेश में यह पहला मौका है जब बीएनपी ने खालिदा जिया के बिना प्रचार किया. भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया फरवरी 2018 से जेल में हैं. बीते तीन दशकों में बांग्लादेश की सत्ता ज्यादातर वक्त शेख हसीना और खालिदा जिया के बीच झूलती रही.
2014 में खालिदा जिया और उनकी पार्टी ने आम चुनावों का बहिष्कार किया था, जिसके चलते हसीना आराम से जीत गई. 2014 के चुनावों में 300 से में आधी सीटों पर कोई दूसरा उम्मीदवार ही नहीं था. चुनावों में कुल 22 फीसदी वोट पड़े.
ओएसजे/आरपी (रॉयटर्स, एएफपी, एपी, डीपीए)