बायर लेवरकुसेन : बैकसीट टीम से चैंपियन बनने तक का सफर
बायर लेवरकुसेन ने पहली बार पुरुषों के बुंडेसलीगा का खिताब जीता है. पांच बार दूसरे स्थान पर रहने के बाद लंबे समय तक उन्हें "नेवरकुसेन" के नाम से चिढ़ाया जाता रहा है.
1904 में हुई लेवरकुसेन क्लब की शुरुआत
क्लब की शुरुआत 1904 में फारबेनफाब्रिक फोअरमाल्स फ्रीडरिष बायर कंपनी लेवरकुसेन के मजदूरों के लिए एक खेल टीम के रूप में की गई थी, जो बाद में आज की फार्मा दिग्गज बायर एजी बनी. टीम 1979 तक निचली लीगों में खेलती रही मगर 1979 के बाद उन्हें बुंडेसलीगा में प्रमोट किया गया. उनका पहला बड़ा खेल बायर्न म्यूनिख के साथ था.
1988 में एस्पेनयॉल के खिलाफ यूईएफए कप जीत कर की वापसी
लेवरकुसेन ने 1988 में एस्पेनयॉल के खिलाफ यूईएफए कप जीता. उस समय, फाइनल पहले और दूसरे चरण में खेला जाता था. लेवरकुसेन बार्सिलोना में 3-0 से हार गया और फिर अपने ही घरेलू मैदान में दूसरे हाफ में केवल तीन गोल करके बराबरी की. खेल पेनल्टी तक गया और गोलकीपर रुडिगर फोलबोर्न की बदौलत बायर ने शूटआउट में 3-2 से जीत हासिल की.
1993 में जर्मन कप जीत
यूईएफए कप में अपनी सफलता के पांच साल बाद, लेवरकुसेन ने अपनी दूसरी ट्रॉफी जीती. 1993 के जर्मन कप फाइनल में, धुआंधार गोल करने वाले उल्फ किर्स्टन (दाएं) और हेर्था बर्लिन की रिजर्व टीम को हराया, जिसने सनसनीखेज तरीके से फाइनल में जगह बनाई थी. लेवरकुसेन ने 1-0 से जीत हासिल की, लेकिन इसके बाद अगली जीत के लिए पहले एक लंबा सूखा दौर चला.
'नेवरकुसेन' पड़ा नाम
1990 के दशक के अंत में लेवरकुसेन एक टॉप की टीम बन गई. जनरल मैनेजर राइनर कालमुंड (दाएं) ने कोच क्रिस्टोफ डाउम (बाएं) को नियुक्त किया और क्लब तीन बार (1997, 1998, 2000) बुंडेसलीगा में दूसरे स्थान पर रहा. इसके चलते उन्हें "वित्सेकुसेन (रनर अप)" और "नेवरकुसेन" जैसे ताने सुनने पड़े.
2000 में लीवरकुसेन और बलाक की दुर्दशा
1999/2000 सीजन के आखिरी बुंडेसलीगा मैच से एक दिन पहले तक लेवरकुसेन ने बायर्न म्यूनिख पर तीन अंकों की बढ़त बना ली थी. खिताब जीतने के लिए केवल एक और अंक की जरूरत थी. गेम से पहले डाउम ने कहा, "हमें कोई नहीं रोक सकता." लेकिन माइकल बलाक (बाएं) खुद की ही टीम में गोल कर देने से 2-0 से हार गए. और ऐसे बायर्न चैंपियन बन गया.
तीन बार हुई बड़ी हार
2002 में, "नेवरकुसेन" का बुरा वक्त अपने चरम पर था. पहले कोच क्लाउस टॉपमोलर (बाएं से तीसरे) ने देखा कि उनकी टीम ने पिछले कुछ मैच के दिनों में बुंडेसलीगा खिताब को रेत की तरह हाथ से जाने दिया और फिर से दूसरे स्थान पर ही रह गए. फिर लेवरकुसेन जर्मन कप फाइनल में भी शाल्के से हार गए. लेकिन क्लब के इतिहास का सबसे बड़ा खेल, 2002 में ट्रॉफी जीतने का तीसरा मौका, अभी भी आना बाकी था...
जब चैंपियंस लीग फाइनल में रियाल मैड्रिड ने लीवरकुसेन को हराया
लेवरकुसेन को 2002 चैंपियंस लीग फाइनल में ग्लासगो में रियाल मैड्रिड के खिलाफ भी हार का सामना करना पड़ा. जिनेदिन जिडान (दाएं) ने मशहूर वॉली से अपना विजयी गोल किया. लेवरकुसेन ने डट कर सामना किया लेकिन 2-1 से हार गए. कुछ ही समय बाद, लेवरकुसेन के वो पांच खिलाड़ी जो जर्मन राष्ट्रीय टीम का भी हिस्सा थे, विश्व कप में उपविजेता बने. राष्ट्रीय कोच रूडी फ्योलर थे - जो कि खुद भी लेवरकुसेन के धुरंधर खिलाड़ी रहे.
2009 में ब्रेमेन के खिलाफ हार
वर्कसेल्फ को ट्रॉफी हासिल करने का मौका पाने में सात साल लग गए. हालांकि, लेवरकुसेन 2009 जर्मन कप फाइनल में वेर्डर ब्रेमेन से बुरे हारे. ब्रेमेन के लिए 1-0 की जीत छोटी जीत लगती है. मेसुत ओजिल ने विजयी गोल किया. वर्तमान लेवरकुसेन खेल निदेशक सीमोन रॉल्फेस (बीच में) भी मैदान में उतरे.
2011 में रिकॉर्ड शुरुआत, फिर भी दूसरे नंबर पर कायम
2011 में, लेवरकुसेन और कोच युप हेन्केस (दाएं) ने सीजन शुरू करते ही 24 जीतों का तत्कालीन बुंडेसलीगा रिकॉर्ड बनाया. हालांकि, बायर कभी भी शीर्ष पर नहीं रहे और बोरुसिया डॉर्टमुंड चैंपियन ने जीत हासिल की. हेनकेस और उनके सहायक कोच पेटर हरमन (बाएं) को बायर्न म्यूनिख ने टीम को कोच करने के लिए बुलाया, जिनके साथ उन्होंने 2013 में तिहरा खिताब जीता था.
2020 में तीन बार जीत चुके बायर्न के खिलाफ जीत हासिल करना नामुमकिन था
2020 का जर्मन कप फाइनल वर्कसेल्फ के लिए निराशाजनक था. कोविड महामारी के कारण बर्लिन के ओलंपिक स्टेडियम में दर्शक नहीं थे. लेवरकुसेन बायर्न म्यूनिख के खिलाफ जीत हासिल कर ही नहीं सकते थे. इसका मुख्य कारण पहला हाफ खराब था. लेवरकुसेन 4-2 से हार गए. 1993 के बाद से उनकी पहली ट्रॉफी का इंतजार इस सीजन के बुंडेसलीगा तक जारी रहा.