बूंद बूंद को तरसते
न फसल है, न फल हैं, अफ्रीका के कई इलाकों में पानी के लिए हाहाकार मचा है. 1.4 करोड़ लोगों का जीवन पानी के बिना दांव पर है. इथियोपिया में हालात बदतर होते जा रहे हैं.
वर्षा का इंतजार
कनिस्टर खाली पड़े हैं. कहीं भी ताजा पानी की एक बूंद तक नहीं है. इथियोपिया 30 साल बाद सबसे भयानक सूखे का सामना कर रहा है. ऐसे ही हालात अफ्रीका के कुछ और इलाकों में भी हैं.
भारी नुकसान
इथियोपिया में ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं. अफार इलाके के एक शख्स के मुताबिक, "आखिरी बारिश रमजान के दौरान हुई थी." जुलाई 2015 के बाद से वहां एक बूंद पानी नहीं बरसा है. खेत वीरान पड़े हैं. मवेशी मर रहे हैं.
बच्चों पर खतरा
इस सूखे ने 1984 के अकाल की ताजा कर दी है. तब इथियोपिया में लाखों लोग मारे गए थे. देश एक बार अकाल का सामना कर रहा है. सरकार के मुताबिक चार लाख बच्चों को तुरंत मेडिकल सहायता चाहिए.
अल नीनो का असर
जिम्बाब्वे में मक्के की फसल बर्बाद हो चुकी है. मक्के की फलियां झुलस चुकी हैं. इसके लिए जलवायु के अल नीनो पैटर्न को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. इसकी वजह से दुनिया भर में मौसम असामान्य हो गया है.
दम तोड़ते मवेशी
ये प्यासी गाय पूरी तरह थक चुकी है. वह खड़ी भी नहीं हो पा रही है. जिम्बाब्वे के किसान किसी तरह उसे उठाकर घर तक ले जाना चाहते हैं. जानवर भी भूख प्यास से बेदम हैं.
ये रेगिस्तान नहीं, नदी है
दक्षिण अफ्रीका में डरबन से कुछ दूर इस जगह पर हमेशा पानी रहता था. यहां ब्लैक उमफोल्जी नदी का बहाव बहुत तेज था. लेकिन अब लोग नदी की रेत को खोदकर नमी से बूंद बूंद पानी जमा कर रहे हैं.
अकाल और महंगाई
अफ्रीकी देश मलावी में भी सूखे ने भयावह संकट खड़ा किया है. राजधानी लिलोंगवे में खाद्यान्न की कीमतें आसमान छू रही हैं. कीमतें इतनी ज्यादा हैं कि स्थानीय लोग बड़ी मुश्किल से थोड़ा बहुत खाना खरीद पा रहे हैं.