बेनजीर हत्याकांड की फिर जांच नहीं करेगा यूएन
१० जुलाई २०१०संयुक्त राष्ट्र महासचिव के सहायक प्रवक्ता फरहान हक ने बताया कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की आपत्तियों पर जवाब तैयार किया जा रहा है. हक ने कहा है कि यूएन महासचिव मून भी मानते हैं कि जांच कमीशन ने काम पूरा किया है. पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में एक रैली में आत्मघाती हमले के दौरान हत्या कर दी गई थी. भुट्टो उस समय संसदीय और प्रांतीय चुनावों के लिए पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की ओर से प्रचार कर रही थी.
23 जून को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बान की मून को एक खत लिखा जिसमें उन्होंने रिपोर्ट में सुरक्षा बलों और सत्ता तंत्र पर अंगुली उठाए जाने पर आपत्ति जाहिर की है. कुरैशी के मुताबिक रिपोर्ट में इस आरोप के पक्ष में सबूत नहीं दिए गए हैं. गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र ने इस पत्र को सार्वजनिक कर दिया.
खत में कहा गया है, "पाकिस्तान की सेना, आईएसआई और सत्ता तंत्र के बारे में जो टिप्पणियां की गई हैं वे सिर्फ कमीशन के सदस्यों की अपनी राय है. उसमें कोई सच्चाई या सबूत पेश नहीं किए गए हैं. जिसके चलते इस मामले में राजनीतिक रुख अपनाने की मिसाल तय नहीं की जा सकती."
2009 में हत्या की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र ने 2009 में एक कमीशन को गठित किया जिसमें भुट्टो की हत्या की परिस्थितियां और सच्चाई का पता लगाना था.
तीन सदस्यीय जांच कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बेनजीर भुट्टो की हत्या को टाला जा सकता था. जांच टीम की अध्यक्षता यूएन में चिली के पूर्व राजदूत हेराल्डो मुनोज ने की और 15 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी.
रिपोर्ट में तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की सरकार पर आरोप लगाया है कि वह भुट्टो को सुरक्षा प्रदान करने और हत्या के बाद उसकी सही जांच करने में नाकाम रही. रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने जानबूझकर भुट्टो की हत्या की जांच के काम में रूकावट डाली जिसके चलते बेनजीर की लाश की सही तरीके से जांच नहीं हुई.
घटनास्थल को धो दिया गया जिससे अहम सबूतों के नष्ट हो गए. रिपोर्ट में आईएसआई पर आरोप लगाया गया है कि पाकिस्तानी समाज के हर पहलू में खुफिया एजेंसी का दखल है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ओ सिंह