बेनतीजा रहा भुखमरी सम्मेलन
१९ नवम्बर २००९तीन दिनों के शिखर सम्मेलन के शुरू में ही 192 देशों के प्रतिनिधि समापन दस्तावेज़ पर सहमत हो गए थे जिसमें किसी ठोस निवेश की चर्चा नहीं है. तीन दिनों की बहस के बाद संयुक्त राष्ट्र खाद्य व कृषि संगठन के महानिदेशक ज़ाक़ डियूफ़ ने एक ओर विश्वव्यापी भुखमरी के ख़िलाफ़ संघर्ष में महत्वपूर्ण क़दमों की बात कही है तो दूसरी ओर इस पर निराशा जताई है कि सहायता के ठोस आश्वासन नहीं दिए गए हैं.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व भर में एक अरब से अधिक लोग भुखमरी के शिकार हैं. संगठन के उप महानिदेशक अलेक्जांडर म्युलर कहते हैं, "विश्व की आबादी आज साढ़े 6 अरब से बढ़कर 2050 में 9 अरब हो जाएगी. इसका मतलब है कि हमें लोगों को खिलाने के लिए 80 फ़ीसदी अधिक उपजाना होगा."
भविष्य की चुनौतियों से निबटने के लिए खेती में भारी निवेश की ज़रूरत है. लेकिन आज जो लोग भुखमरी के शिकार हैं उन्हें इस दलदल से बाहर निकालने के लिए भी आने वाले दशकों में अरबों की ज़रूरत होगी. खाद्य व कृषि संगठन के अनुसार भुखमरी के ख़िलाफ़ संघर्ष में हर साल 44 अरब डॉलर की ज़रूरत है.
लेकिन इसके लिए पैसा कहां से आएगा किसी को पता नहीं. सम्मेलन में मेज़बान इटली के प्रधानमंत्री सिलवियो बैरलुसकोनी के अलावा सबसे धनी देशों के संगठन जी-8 को सरकार प्रमुख मौज़ूद नहीं था. उन्होंने भी सिर्फ़ उस 20 अरब डॉलर की चर्चा की जिसका वचन जी-8 ने अगले तीन वर्षों के लिए दिया है.
जर्मनी ने भी अपना हिस्सा नहीं बढ़ाया है, हालांकि वह अगले तीन सालों में हर साल 70 करोड़ यूरो देगा. जर्मन कृषिमंत्री इल्ज़े आइगनर सम्मेलन को सफल बताती हैं और कहती हैं, "हम कोई नई संरचनाएं नहीं चाहते, हम चाहते हैं कि उपलब्ध साधनों, उपलब्ध विचारों और उपलब्ध जानकारी को इकट्ठा किया जाए और उनका लक्ष्यबद्ध तरीक़े से इस्तेमाल किया जाए."
और इसकी ज़रूरत भी होगी. उत्तरी अफ़्रीका में सवा दो करोड़ लोग भुखमरी के शिकार हैं जिनमें से पचास लाख पांच साल से कम उम्र के बच्चे हैं. भारत में भी 6 करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. राहत संस्था औक्सफ़ैम ने सम्मेलन को 10 अंकों में से सिर्फ़ 2 अंक दिया है. संगठन के प्रवक्ता गवैन क्रिपके ने कहा है कि नतीज़े एक अरब भूखे लोगों की समस्या से मेल नहीं खाते.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: आभा मोंढे