बैंकरों पर रखेंगे कड़ी नजर
७ फ़रवरी २०१३विश्व भर में वित्तीय संकट शुरू होने के पांच साल बाद जर्मन सरकार ने बैंकों पर कड़ाई से निगरानी करने का फैसला किया है. कैबिनेट ने वित्तीय क्षेत्र में नियमन के लिए कानूनों के एक पैकेज को मंजूरी दे दी. वित्त मंत्री वोल्फगांग शौएब्ले ने नए कानूनों के बारे में कहा है कि बैंकिंग कारोबार को सट्टेबाजी के कारोबार से अलग रखकर जोखिमों से बेहतर सुरक्षा की जा सकेगी. बैंकों को भविष्य में बैंकिंग का काम कानूनी, आर्थिक और संगठन के रूप से स्वतंत्र ईकाईयों में चलाना होगा. शौएब्ले के अनुसार जर्मनी के ऐसे 10 से 12 बड़े बैंक हैं जो बैंकिंग और इंवेस्टमेंट के हिस्सों को अलग करने वाले नए नियमों से प्रभावित होंगे. पिछले दिनों मीडिया में डॉयचे बैंक, कॉमर्स बैंक और बाडेन वुर्टेमबर्ग के लंडेसबैंक का नाम लिया जा रहा है.
इसके अलावा बैंकों को एक टेस्टामेंट तैयार करना होगा, जिसमें संकट की स्थिति में बैंक को स्वस्थ बनाने या फिर उसे दिवालिया घोषित करने की योजना होगी. इस टेस्टामेंट को बैंकों को वित्तीय नियामक संस्था को सौंपना होगा. आपात योजना बैंकों को बहुत बड़ा या वित्तीय क्षेत्र के साथ जटिल रूप से जुड़ा होने के कारण बंद न कर सकने की समस्या से निबटने के लिए लागू की जा रही है. 2008-09 में विभिन्न देशों की सरकारों को कई बैंकों की अरबों डॉलर की मदद करनी पड़ी थी, क्योंकि उन्हें व्यवस्था के लिए जरूरी बैंक माना गया, उनके बंद होने से पूरी वित्तीय व्यवस्था चरमरा सकती थी.
नए कानून में बैंकों और बीमा कंपनियों के प्रमुख मैनेजरों को वित्तीय जोखिम पर नियंत्रण रखने के कर्तव्य का पालन न करने पर पांच साल तक की कैद का भी प्रावधान है. इसके जरिए मैनेजरों की लापरवाही या जोखिम उठाने के जोश के कारण बैंकों के अस्तित्व पर खतरे को रोका जा सकेगा. वित्त मंत्री शौएब्ले ने कहा है कि नए बिलों को गर्मियों तक संसद में पास कराया जा सकेगा. नया कानून जनवरी 2014 से लागू हो जाएगा. बैंकों के पास बैंकिंग और इंवेस्टमेंट के कारोबार में बंटवारे के लिए जुलाई 2015 तक का समय होगा.
वित्त मंत्री का कहना है कि नए कानून से वित्तीय व्यवस्था के संकट का सामना करने की स्थिति में न होने और बैंकरों में जिम्मेदारी के अभाव की समस्या का निबटारा होगा. वहीं वित्तीय सेक्टर ने नए कदमों की कड़ी आलोचना की है. जर्मन बैंकों के संगठन बीडीबी के अध्यक्ष आंद्रेयास श्मित्स ने नए कानूनों को खतरनाक बताया है और कहा है कि उन्हें चुनावी वजहों से लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह जर्मन वित्तीय सेक्टर को कमजोर करेगा. श्मित्स का कहना है कि अब तक इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि बैंकों के अपने कारोबार और ग्राहकों के कारोबार में विभाजन से वित्तीय बाजार में अधिक स्थिरता आएगी.
नए कानून जर्मन खाताधारियों की मनोदशा के मुताबिक हैं. जर्मन बैंकों के ग्राहक चाहते हैं कि बैंक उनके धन के साथ सावधानी से पेश आएं. बैंक मैनेजरों में जोखिम के प्रति सावधानी के लिए 84 फीसदी जर्मन ग्राहक बैंक में जमा पूंजी पर कम ब्याज लेने के लिए तैयार हैं. फोरसा कंपनी द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार यदि ग्राहकों को पता हो कि उनका बैंक उनके पैसे के साथ सावधानी से पेश आ रहा है तो वे एक प्रतिशत तक कम ब्याज लेने के लिए तैयार होंगे. 70 फीसदी ग्राहकों का मानना है कि वित्तीय संकट के बावजूद बैंकों ने अपना रवैया नहीं बदला है.
एमजे/ओएसजे (डीपीए)