ब्रेक्जिट: पक्ष-विपक्ष की टक्कर में कौन भारी
२२ जून २०१६ब्रेक्जिट या ब्रिमेन - जिसके मायने हैं ब्रिटेन का बाहर जाना या ईयू में बने रहना. इन दोनों पक्षों के समर्थक पूरे दमखम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने साथ लाने की कोशिशों में लगे हैं. समर्थन जुटाने के अभियान के आखिरी दिन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने एक के बाद एक लगातार कई इंटरव्यू दिए. सब में एक ही संदेश था और वो यह कि 23 जून को अपना फैसला लेने से पहले मतदाता यह समझें कि ईयू के साथ रहने में ब्रिटेन की भलाई है.
फाइनेंशियल टाइम्स अखबार से बात करते हुए कैमरन ने कहा, "कोई नहीं जानता कि क्या होने वाला है," लेकिन अपने अनुमान से बोलते हुए उन्होंने कहा "जिस भी ओर जाए, फैसला निर्णायक होगा. ब्रिटेन इस सबसे फिर नहीं गुजरना चाहेगा."
नतीजों की भविष्यवाणी के लिए कराए गए तमाम पोल मिले जुले निष्कर्ष दिखाते रहे हैं. इन सभी मतानुमानों का औसत निकालने वाली संस्था वॉट यूके थिंक्स के अनुसार कांटे की टक्कर में 51 फीसदी मत यूरोपीय संघ में बने रहने के और 49 फीसदी ईयू छोड़ने के पक्षधर होंगे. कई ऐसे वोटर जिन्होंने अभी तक अपनी राय तय नहीं की है. वे रेफरेंडम को किसी भी ओर झुका सकते हैं.
कैंपेन के आखिरी दिन 22 जून को लंदन में दोनों ही पक्षों के कैंपेनर लगातार सभाएं करेंगे और फिर चैनल 4 पर वोटिंग से पहले होने वाली आखिरी टीवी बहस में हिस्सा लेंगे. इसमें ईयू विरोधी पक्ष से यूके इंडेपेंडेंस पार्टी के नेता नाइजेल फराज और दूसरी ओर पूर्व स्कॉटिश मुख्यमंत्री एलेक्स सैलमंड मौजूद होंगे.
ब्रिटेन यदि ईयू छोड़ने का फैसला करता है तो वह यूरोपीय संघ के 60 साल के इतिहास में ऐसा करने वाला पहला देश होगा. इस कदम का असर ब्लॉक के बाकी देशों पर पड़ने का डर जताया जा रहा है. ऐसे डॉमिनो इफेक्ट की चपेट में आने से पूरा यूरोपीय प्रोजेक्ट खटाई में पड़ सकता है. यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जाँ क्लोद युंकर पहले ही ब्रिटेन को "खुद को नुकसान पहुंचाने वाला काम" ना करने और यूरोप की अवधारणा को खतरे में ना डालने की अपील कर चुके हैं.
पूरी दुनिया के वित्तीय बाजार की भी रेफरेंडम पर निगाह है. सभी प्रमुख सेंट्रल बैंक ब्रेक्जिट से होने वाले असर का पूर्वानुमान लगा रहे हैं. ईयू छोड़ने के पक्षधरों ने 23 जून को ब्रेक्जिट का फैसला होने पर ब्रिटेन के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रचार किया है. वहीं हाल ही में ब्रिटेन के ईयू में बने रहने की समर्थक ब्रिटिश सांसद जो कॉक्स की हत्या के कारण जनभावना गहरे तक प्रभावित हुई है. 22 जून यानि आज उनका 42वां जन्मदिन मनाये जाने की कई जगहों पर तैयारी है.