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भारत और आसियान बढ़ाएंगे व्यापारिक संबंध

२३ जनवरी २००९

नई दिल्ली में दो-दिवसीय दिल्ली संवाद का आयोजन भारत और आसियान द्वारा वर्तमान वैश्विक वित्तीय संकट के बीच भी अपने व्यापारिक संबंधों को विस्तार देने के लिए गंभीरता के साथ प्रयास करने रहने की प्रक्रिया का हिस्सा था.

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हम साथ साथ हैं, आसियान नेताओं के बीच मनमोहनतस्वीर: AP

क्षेत्रीय सहयोग एवं सुरक्षा पर यह दिल्ली संवाद भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग संघ (फिक्की) ने आयोजित किया था. बुधवार को इसका उदघाटन करते हुए भारत के विदेशमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हम आसियान को एकीकृत करने की उसकी पहल में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं ताकि आसियान के भीतर विकास के अंतराल को भरा जा सके. मुखर्जी ने कहा कि हम स्वास्थ्य की देखभाल, आपदा प्रबंधन, अनुसंधान एवं विकास तथा तकनीकी के विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

Pranab Mukherjee - Indischer Verteidigungsminister
भारतीय विदेशमंत्री मुखर्जीतस्वीर: AP

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मुंबई में हाल में हुए बर्बर आतंकवादी हमलों ने दर्शा दिया कि भारत और आसियान को मिलकर दृढ़तापूर्वक कदम उठाने की ज़रूरत है. हमारे बीच बढ़ रहे आर्थिक और राजनीतिक संपर्क से यह संदेश जायेगा कि आतंकवादियों की साजिशों को केवल भारत ही नहीं, बल्कि समूचा विश्व समुदाय विफल करेगा.

पिछले दस वर्षों के भीतर भारत और आसियान के बीच व्यापार बढ़कर 38 अरब डॉलर हो गया है. अगले माह दोनों के बीच मुक्त व्यापार समझौता हो जाने के बाद वर्ष 2010 तक इसके 50 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है.

भारत आसियान के साथ सेवा क्षेत्र में समझौता करना चाहता है ताकि उसके बैंकिंग, सूचना तकनीकी, टेलीकॉम, शिक्षा तथा पर्यटन को बढ़ावा मिले. आसियान के महासचिव सुरिन पित्सुवान ने दिल्ली संवाद में भाग लेते हुए कहा कि अस्सियाँ आर्थिक क्षेत्र में भारत के साथ बेहतर सम्बन्ध चाहता है.

इस समय दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के संगठन आसियान में इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर, फिलिपींस, थाईलैंड, ब्रुनेई दारास्सलाम, वियतनाम, लाओस, म्यांमार तथा कम्बोडिया शामिल हैं.

कुलदीप कुमार, नई दिल्ली