भारत की मदद ले ले पाकिस्तानः अमेरिका
१९ अगस्त २०१०अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा, "आपदा से निपटने के मामले में राजनीति की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए. एक देश (भारत) है जो आपकी मदद करना चाहता है. हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान इसे स्वीकार करेगा." पिछले हफ्ते भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को फोन किया और बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए 50 लाख डॉलर देने की बात कही.
पाकिस्तान ने अब तक इस पेशकश को स्वीकार नहीं किया है, जबकि वहां के नेता विश्व बिरादरी से बराबर तुरंत मदद की अपील कर रहे हैं ताकि बाढ़ पीड़ित करोडों लोगों की जरूरतों को पूरा किया जा सके. पाकिस्तान का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा बाढ़ से प्रभावित है. वहां यह 80 सालों में सबसे भयानक बाढ़ है.
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए विशेष अमेरिकी उप प्रतिनिधि फ्रैंक रुगिरो ने भी पाकिस्तान से भारतीय मदद स्वीकार करने को कहा है. वह कहते हैं, "मुझे लगता है कि इस वक्त प्राथमिकता यह है कि पाकिस्तानी लोगों की मदद के लिए मिल रही हर पेशकश का इस्तेमाल किया जाए. इसलिए हम पाकिस्तानी सरकार से कहेंगे कि वह भारत की मदद को स्वीकार करे." रुगिरो ने कहा कि अमेरिका दुनिया भर से पाकिस्तान की मदद के लिए अपील जारी रखेगा ताकि संकट की इस घड़ी में पाकिस्तानी जनता को सहारा दिया जा सके.
इस बीच पाकिस्तानी विदेश मंत्री बाढ़ पीड़ितों के राहत बचाव कार्य पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष बैठक में हिस्सा लेने न्यूयॉर्क पहुंच गए हैं. वहां वह विश्व बिरादरी से और मदद की अपील करेंगे. बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भी शामिल होंगी. वह पाकिस्तान के लिए और सहायता का एलान कर सकती हैं. अमेरिका ने अब तक पाकिस्तान को बाढ़ से निपटने के लिए 9 करोड़ डॉलर की मदद दी है.
उधर, पाकिस्तान के अग्रणी मानवाधिकार कार्यकता अंसार बर्नी ने भी कहा है कि पाकिस्तान को मानवीय आधार पर भारत की मदद स्वीकार कर लेनी चाहिए. लंदन में उन्होंने कहा, "यह पहला मौका है जब मुंबई हमलों के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के प्रति सकारात्मक रुख दिखाया है. पाकिस्तान सरकार को बाढ़ पीड़ितों की खातिर भारत सरकार की इस पेशकश का सकारात्कम जबाव देना चाहिए."
बर्नी ने कहा कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की सरकार एक तरफ तो दुनिया के सामने हाथ फैला रही है और दूसरी तरफ भारत की तरफ से "प्यार और शांति की मदद" को स्वीकार नहीं कर रही है. उनके मुताबिक, "इस वक्त हमें जहां से भी मदद मिल रही है, ले लेनी चाहिए और उसे बाढ़ पीड़ितों तक पहुंचाया जाए."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम