भारत की व्यापार नीति की समीक्षा करेगा डब्ल्यूटीओ
१४ सितम्बर २०११विश्व व्यापार संगठन सदस्य देशों के बीच व्यापार की निगरानी करता है और सुनिश्चित करता है कि व्यापार बेरोकटोक और बिना किसी बाधा के हो. भारत की व्यापार नीति विकासशील देशों और विश्व व्यापार संगठन के कुछ बड़े खिलाड़ियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. भारत जैसे उभरते बाजार बड़ी अर्थव्यवस्था वाली देशों के लिए आने वाले समय में काफी मायने रखते हैं. विश्व व्यापार संगठन पर दबाव है कि भारत के तेजी से बढ़ते बाजार पर विकसित देशों के लिए उचित माहौल बनाने में अहम भूमिका निभाए.
हर चार से पांच साल के अंतराल में विश्व व्यापार संगठन सदस्य देशों की व्यापार और आर्थिक नीतियों की समीक्षा करता है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा कहते हैं, " बहुत दिनों से देखा जा रहा है कि विकसित देश और डब्ल्यूटीओ के बड़े खिलाड़ियों का सारा ध्यान भारत पर है. भारत अगर अपना बाजार और खोलता है या भारत की नई व्यापार नीति क्या होती है उस पर ही वैश्विक आर्थिक मंदी और विश्व व्यापार के मुद्दे जुड़े हुए हैं."
पश्चिमी औद्योगिक देश वित्तीय संकट और उसके बाद के आर्थिक संकट से पूरी तरह ऊबर नहीं पाए हैं. इस बीच ग्रीस, पुर्तगाल और आयरलैंड के कर्ज के संकट ने यूरो को भी संकट में डाल दिया है. यूरो का संकट इतना गहराया है कि अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी इस पर चिंता व्यक्त की है.
यह संकट अमेरिका के आर्थिक मुश्किलों से उबरने की कोशिश को प्रभावित कर सकता है. चीन और भारत में वित्तीय संकट का उतना असर नहीं रहा है और वहां विकास दर औसत से काफी ज्यादा रही है. पश्चिमी देश इन उभरते देशों से विश्व अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद कर रहे हैं.
अमेरिका और अन्य विकसित देश भारत सहित अन्य विकासशील देशों में अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाना चाहते हैं. वे दोहा वार्ता की सफलता के लिए विकासशील देशों से अधिक रियायत की मांग कर रहे हैं. अमेरिका ने भारत और चीन जैसे देशों को दोहा वार्ता के पूरा न होने के लिए जिम्मेदार बताया है. तो विकसित और विकासशील देशों के संगठन जी-20 ने कहा है कि विश्व व्यापार संगठन के 153 सदस्यों के लिए इस साल के अंत तक दोहा वार्ता को पूरा करने का एक मौका है. विश्व व्यापार संगठन द्वारा कतर की राजधानी दोहा में व्यापार वार्ता का नया दौर 2001 में शुरू किया गया था, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है.
भारत और अन्य विकासशील देश पश्चिमी देशों को रियायत देने के बदले सस्ते आयात से किसानों को बचाने के लिए अपने कृषि बाजार की रक्षा करना चाहते हैं, जबकि विकसित देश अपने यहां अपने किसानों को भारी सब्सिडी देकर उनके कृषि उत्पादों को विकासशील देशों में सस्ते में निर्यात कर रहे हैं. देवेंद्र शर्मा कहते हैं, "विश्व व्यापार में भारत का हिस्सा बहुत कम है. भारत जितना मर्जी जोर लगा ले 3 फीसदी से आगे नहीं बढ़ सकता. मेरा यह मानना है कि भारत एक गलत नीति के साथ डब्ल्यूटीओ में जा रहा है. हमें कोशिश यह करनी चाहिए कि हमारे घरेलू बाजार को और मजबूत बनाया जाए. घरेलू बाजार के अलावा उत्पादकों और देश की आर्थिक स्थिति सुधारनी चाहिए."
देवेन्द्र शर्मा आरोप लगाते हैं कि सिर्फ 3 फीसदी बाजार के लिए सरकार अपने देश को गिरवी रख रही है. भारत को घरेलू बाजार को बेहतर बनाने की जरूरत है, क्योंकि वह उच्च प्रगति दर की रफ्तार बनाए रखने में विफल रहा है. सुधारों में गतिरोध और ढांचागत संरचना का विकास न होने का असर आर्थिक प्रगति पर पड़ रहा है. पिछले महीनों में विदेशी निवेश घटा है और ताजा आंकड़ों के अनुसार जुलाई का महीना भारतीय उद्योगों के लिए खासा निराशाजनक रहा. इस दौरान मशीन उपकरण इकाईयों, निर्माण उद्योग और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन के चलते औद्योगिक वृद्धि दर घटकर मात्र 3.3 फीसदी रह गई है. पिछले साल जुलाई में औद्योगिक वृद्धि दर 9.9 फीसदी थी.
विश्व व्यापार संगठन द्वारा सदस्य देशों की व्यापार नीति का आकलन नियमित अंतराल पर होता है. इसका लक्ष्य वैश्विक व्यापार को प्रभावित करने वाले विकास को मोनीटर करना है.
रिपोर्ट: आमिर अंसारी
संपादन: महेश झा