तेजी से बढ़ता बाल यौन शोषण
२४ नवम्बर २०२१पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस) जैसे कड़े कानून के बावजूद भारत में बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा के मामले कम नहीं हो रहे हैं बल्कि इसमें साल दर साल इजाफा हो रहा है. महानगरों के अलावा छोटे शहरों में भी इस तरह के घिनौने अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2020 की रिपोर्ट बताती है कि देश में बाल यौन शोषण के 47,221 मामले दर्ज किए गए थे. इन मामलों में अधिकतर पीड़ित लड़कियां ही थीं.
एनसीआरबी के मुताबिक यौन हिंसा और यौन शोषण की वारदात सबसे अधिक 16 से लेकर 18 वर्ष की लड़कियों के साथ हुईं. इस क्षेत्र में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि कई बार मामले तो पुलिस तक नहीं पहुंचते हैं या फिर परिवार ही बदनामी के डर से उसे दबा देता है.
बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए नौ साल पहले पॉक्सो कानून बनाया गया था. सवाल यह है कि क्या कानून अपने उद्देश्य को पूरा करने में सफल रहा है? 2016 से 2020 तक (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट किए गए बाल यौन शोषण के मामलों की संख्या 2016 में 36,321 से बढ़कर 2020 में 47 हजार से अधिक हो गई. यह 31 प्रतिशत की वृद्धि है. विशेषज्ञों के अनुसार यह संख्या भी हिमखंड का सिरा मात्र है. एनसीआरबी की 2020 की रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में से सिर्फ 36 फीसदी ही पॉक्सो के तहत दर्ज होते हैं.
ऑनलाइन यौन शोषण
बदलती तकनीक और इसके दुरुपयोग के साथ तालमेल रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कानूनों की विफलता की जांच करने वाले अधिकार समूह इक्वालिटी नाउ का कहना है कि संभावित पीड़ितों को लक्षित करने के लिए शिकारी तेजी से सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं. इक्वालिटी नाउ के मुताबिक अपराधी गुमनाम तरीके से काम करते हैं और वे बहुत सीमित विनियमन के तहत काम करते हैं.
इक्वालिटी नाउ का कहना है कि अमेरिका में यौन शोषण के लिए तस्करी किए गए आधे से अधिक बच्चे पहली बार टेक्स्ट, वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से अपने यौन शोषणकर्ता से मिले.
वी प्रोटेक्ट ग्लोबल एलायंस द्वारा ग्लोबल थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट 2021 में कहा गया है कि कोविड-19 ने बाल यौन शोषण और ऑनलाइन दुर्व्यवहार में महत्वपूर्ण वृद्धि में योगदान दिया है.
पड़ताल में जुटी सीबीआई
पिछले दिनों सीबीआई ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी बनाने और उन्हें शेयर करने के मामले में कई राज्यों में एक साथ छापेमारी की थी. सीबीआई ने अपने छापे के दौरान कई इलेक्ट्रॉनिक गैजैट्स जैसे कि मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि जब्त किए. सीबीआई को शुरूआती जांच में 50 से ज्यादा ग्रुप्स और 5 हजार से ज्यादा लोगों के बारे में पता चला है जो बच्चों से जुड़े यौन शोषण वाले वीडियो सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर साझा करते थे. सीबीआई ने करीब 80 आरोपियों के खिलाफ बच्चों के यौन शोषण में शामिल होने को लेकर 23 मुकदमे दर्ज किए हैं. बताया जा रहा है कि यह धंधा 100 देशों तक फैला हुआ है.