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भारत जापान रिश्ते की पांच अहम बातें

राहुल मिश्र
१३ सितम्बर २०१७

भारत और जापान के रिश्तों मे आयी गर्मजोशी और संजीदगी एशिया प्रशांत की राजनीति को बदलने की क्षमता रखती है. इस संदर्भ में आबे की भारत यात्रा 5 कारणों से महत्वपूर्ण है.

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Indien Ahmadabad Besuch Shinzo Abe
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे बुधवार से भारत की यात्रा पर हैं. मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से आबे की भारत-जापान शिखर सम्मेलन के लिये यह दूसरी भारत यात्रा है. इन तीन वर्षो में आबे और मोदी के बीच चार शिखर वार्तायें हो चुकी है, जो कि अब तक हुए बारह शिखर सम्मेलनों का हिस्सा हैं. गौरतलब है कि जापान के अलावा भारत सिर्फ रूस के साथ टू प्लस टू सामरिक-आर्थिक सालाना मशविरा करता है. आबे की यह यात्रा पांच कारणों से महत्वपूर्ण है.

Indien Ahmadabad Besuch Shinzo Abe
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh

पहला, भारत परिवर्तन के एक नये दौर से गुजर रहा है. देश की 50 फीसदी से ज्यादा आबादी 30 साल से कम उम्र की है और देश से रोजगार की अपेक्षा रखती है. मोदी की मेक इन इंडिया नीति इस चुनौती से निपटने में कारगर सिद्ध हो सकती है बशर्ते रोजगार सृजन के लिये पर्याप्त निवेश हो और आवश्यक ढांचागत सुविधाओं का निर्माण हो. पिछ्ले तीन वर्षो में जापान ने भारत को इस दिशा मे काफी योगदान दिया है. अहमदाबाद- मुम्बई बुलेट ट्रेन इसका बडा प्रमाण है जिसका शिलान्यास 14 सितंबर को हो रहा है. 500 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह बुलेट ट्रेन 17 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से तैयार होगी. भारत को जापान से लिया ये धन 0.1 फीसदी की दर से ब्याज के साथ अगले 50 सालों में चुकाना होगा.

Indien Ahmadabad Besuch Shinzo Abe
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Solanki

दूसरा अहम मुद्दा है चीन का वन बेल्ट वन रोड या बेल्ट और रोड प्रोजेक्ट जिसने भारत और जापान दोनों ही देशों को चीन की दूरगामी सामरिक और आर्थिक रणनीति के बारे मे सशंकित कर रखा है. दोनों ही देश चीन के साथ अपने अपने सीमा विवाद को लेकर उलझे हुए हैं, और चीनी दुस्साहस से भी खासे परेशान हैं. भारत-चीन के बीच हाल ही में समाप्त हुए डोकलाम विवाद से ये स्पष्ट होता है. डोकलाम का एक सकारात्मक पहलू ये रहा कि इस मुद्दे पर जापान ने खुल कर भारत का साथ दिया, जबकि अमेरिका ने इस मामले पर चुप्पी साधे रखना ही बेहतर समझा.

Indien Ahmadabad Besuch Shinzo Abe aus Japan und Narendra Modi
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Solanki

इससे जुड़ा तीसरा महत्वपूर्ण पहलू है एशिया में तेजी से रफ्तार पकड़ती दौड़ का जिसमें एक तरफ तो चीन बेल्ट और रोड प्रोजेक्ट से देशों को अपनी ओर मिलाने की कोशिश में लगा है, तो वहीं भारत और जापान भी इस दौड़ में पीछे रहने को तैयार नहीं दिखते. दोनों देशों का साझा "एशिया अफ़्रीका विकास गलियारा (एएजीसी) इस दिशा में एक बड़ा कदम है. 40 अरब डॉलर के इस प्रस्ताव में जापान 30 और भारत 10 अरब डॉलर का निवेश करेगा. इस कदम को चीन के बेल्ट और रोड प्रोजेक्ट के जवाब के रूप मे देखा जा रहा है.

चौथे, भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को लेकर खासा परेशान रहा है. अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायन्स इसी चिंता और सोच का परिणाम है. भारत ने अमेरिका, फ़्रांस और रूस समेत तमाम देशों के साथ परमाणु ऊर्जा सहयोग पर भी काम करना शुरु कर दिया है. जापान ने अपनी परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने वाले किसी देश के साथ असहयोग की अपनी कसम भी भारत के लिये तोड़ दी और दोनों देशों ने परमाणु ऊर्जा सहयोग पर साझा सहयोग का मसौदा भी मंजूर कर लिया है, जिसके भारत के लिये दूरगामी परिणाम होंगे.

और आखिर में पांचवा यह कि भारत और जापान एशिया के भविष्य को लेकर एकमत हैं और एशिया को बहुध्रुवीय बनाने के लिये कृतसंकल्प हैं. बढ़ते सामरिक और सैन्य सहयोग से यह ज्यादा स्पष्ट होता है और बहुमुखी आर्थिक और व्यापारिक साझेदारी से ज्यादा मजबूत.

(राहुल मिश्रा एशिया प्रशांत मामलों के विशेषज्ञ हैं.)