क्या जी20 देश कर सकेंगे मध्यम आय वाले देशों की मदद?
२ जून २०२०विश्व की 225 से भी ज्यादा जानी मानी हस्तियों ने दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वे कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए 2,500 अरब डॉलर की एक योजना पर सहमति बनाने के लिए तुरंत बैठक करें. इस कोष की मदद से महामारी से आर्थिक बहाली की भी शुरुआत की जाएगी और विशेष रूप से बड़ा नुकसान झेलने वाले विकासशील और मध्यम आय वाले देशों की मदद होगी.
इन हस्तियों ने चिट्ठी में लिखा है कि ये गरीब और मध्यम आय वाले देश दुनिया की लगभग 70 प्रतिशत आबादी और वैश्विक जीडीपी के लगभग एक-तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं और इनके लिए तुरंत कदम उठाए जाने की जरूरत है. इनका कहना है कि 100 से भी ज्यादा देशों ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद मांगी है और आशंका है कि और भी देश मदद मांगेंगे.
चिट्ठी में चेतावनी दी गई है कि जी20 देशों की मदद के बिना महामारी की वजह से आने वाली आर्थिक मंदी और गहरा जाएगी और सभी अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाएगी. इनमें सबसे ज्यादा नुकसान दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब और अधिकारहीन लोगों का होगा.
चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वालों में अलग अलग देशों के 75 से भी ज्यादा पूर्व नेता, तीन नोबेल शांति पुरस्कार विजेता, चार नोबेल अर्थशास्त्र पुरस्कार विजेता, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की-मून, फिलांथ्रोपिस्ट जॉर्ज सोरोस और कई जाने माने नाम शामिल हैं.
जी20 देशों का शिखर सम्मेलन 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बीच शुरू किया गया था, लेकिन कोविड-19 के दुनिया में फैलने के बाद इन देशों के नेताओं ने सिर्फ एक बार मुलाकात की और उनकी अगली बैठक नवंबर में रियाद में होगी. 26 मार्च को जी20 देशों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5,000 अरब डॉलर से भी ज्यादा डालने का प्रण लिया था ताकि नौकरियां कम जाएं और आय का भी नुकसान कम हो. लेकिन उनके काम की आलोचना की गई है.
अब इस चिट्ठी में कहा गया है कि जी20 देशों को एक और बैठक करने की जरूरत है ताकि उनकी योजना पर अमल और जल्दी हो सके. जी20 का मतलब है यूरोपीय संघ और 19 और देश - अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका.
सीके/एए (एपी)
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